इस योजना के तहत कोई नहीं सो रहा है खाली पेट, जानिये कैसे उठायें लाभ

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    जिला ग्रामीण विकास अभिकरण (डीआरडीए) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमरदीप जैन कि बताया कि कोरोना महामारी के दौरान ग्रामीण क्षेत्र के अकुशल मजदूरों को रोजगार प्रदान करके रोजी-रोटी में मदद के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कार्यक्रम (मनरेगा) ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

    उन्होंने बताया कि उपायुक्त यशपाल के दिशा-निर्देशानुसार इस कार्यक्रम के अंतर्गत एक अप्रैल 2020 से अब तक 1667 ग्रामीण अकुशल मजदूरों को रोजगार प्रदान करके 46432 दिन का रोजगार प्रदान किया गया है।

    इस योजना के तहत कोई नहीं सो रहा है खाली पेट, जानिये कैसे उठायें लाभ

    जबकि जिले का वार्षिक लक्ष्य 46410 मानव दिवस का था और यह कार्य केवल 6 महीने में पूरा कर लिया गया है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत 228 बीपीएल परिवारों के पशुओं के लिए बाड़ो / शेड का निर्माण करवाया जा रहा है।

    जल सरंक्षण हेतु जोहड़ों और पार्कों का निर्माण, पौधारोपण और गड्ढों आदि के कार्य भी करवाए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम के अंतर्गत ग्राम सचिवालय, पंचायत की जमीनों का समतलीकरण, स्कूल के खेल के मैदानों का समतलीकरण, स्कूल तक के लिए सडक़ों का निर्माण, गांव के अंदुरुनी रास्तों, खेतों के रास्तों तथा गांव को दूसरे गांव से जोडऩे के लिए रास्तों का निर्माण तथा नहरों की सफाई का कार्य किया जा रहा है।

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    मनरेगा के अंतर्गत पीडब्ल्यूडी बीएंडआर तथा हरियाणा राज्य कृषि विपणन बोर्ड के रास्तों का निर्माण तथा जन- स्वास्थ्य विभाग द्वारा गांवो मे टैंको की सफाई का कार्य किया जा रहा है । इस कार्यक्रम के अंतर्गत 250.86 लाख रुपये की राशि का उपयोग किया गया है।

    उन्होंने बताया कि गांव नारियाला में मनरेगा स्कीम के अंतर्गत 17.23 लाख रुपए की लागत से व्यर्थ पड़ी 2. 25 एकड़ जमीन पर एक पार्क विकसित किया गया है। जिसमें सैर करने के लिए ट्रैक, जिम के लिए बिल्डिंग, कार्यालय, लाइट लगाई गई हैं। जिनका स्थानीय ग्रामवासियों को लाभ मिल रहा है। इसके अलावा गांव खोरी जमालपुर में 16.19 लाख रुपए की लागत से एक तालाब का निर्माण किया गया है ।

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    इस तालाब के चारों ओर पौधारोपण तथा किनारों के साथ- साथ ट्रैक का निर्माण किया गया है। इस तालाब मे वर्षा का जल भरता है जोकि गांव के पशुओं के पीने के काम आता है और इससे गांव का जलस्तर भी बढ़ता है । इस तालाब को पंचायत द्वारा मछली पालन के लिये पटटे पर छोड़ा हुआ हुआ है और यह पंचायत के लिये आमदनी का स्तोत्र बन गया है। इसके अलावा गांव अरुवा में 10 लाख रुपए की लागत से ग्राम सचिवालय का भी निर्माण किया गया है।