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जरा संभल के ,फिर से स्मार्ट सिटी गैस चैम्बर न बन जाये

विज्ञानं और विकास की यह कैसी हवा आयी ,खुद के हाथो हमने खुद की चिता जलाई।विज्ञानं के इस युग में इंसान को वरदान से ज्यादा अभिशाप मिले है और प्रदूषण भी एक ऐसा ही आभूषण है ,जिसका जन्म विज्ञानं की कोक से ही हुआ है। लेकिन इंसान ने इस श्राप को और भी जेह्रीला बना दिया है। बीते कुछ दिन पहले लॉकडाउन के दौरान हमे इस श्राप से थोड़ी निजात मिली थी ,बादल फिर से नीले होने लगे थे।

जरा संभल के ,फिर से स्मार्ट सिटी गैस चैम्बर न बन जाये

चिडियो की चेचहाहट फिर से लोट आयी है ,घर की मुंडेल पर चिड़िया फिर से दिखने लगी थी ,लोग फिर से खुली हवा में साँस लेने लगे थे जो पहले कहि न कहि गुम होने लगी थी। और यह सब हुआ था वाहनों की आवाजाही कम होने की वजह से और तकनकी प्रतिक्रिया कम होने की वजह से। यह था कारन लोगो प्रदूषण स्तर कम होने का। लेकिन जैसे ही लॉक डाउन खुला और साडी गतिविधियां फिर से शुरू होने लगी प्रदुषण का स्तर फिर से भड़ने लगा ,साफ़ दिखने वाले बदल फिर धुंधले होने लगे।

प्रदूषण के पीएम 2.5 का स्तर करीब 50 या इससे नीचे दर्ज किया जा रहा था हालांकि जिंदगी की गाड़ी आगे बढ़ाने को अर्थ का प्रयास चलना भी उतना ही जरूरी है और इसके लिए आवश्यक है कि घर से बाहर निकलना और उद्योग कारोबार को गति देना पर यदि हम इतनी बात करते तो काफी हद तक प्रदूषण पर काबू पाया जा सकता था। यह हम सबको ध्यान देना होगा कि उन कारकों को नियंत्रित करें, जिनकी वजह से प्रदूषण फैलता है और शुद्ध वायु जहरीली हो जाती है।

इधर जैसे-जैसे लैपटॉप किताब घर पर चला गया फिर से वही भागदौड़ की जिंदगी शुरु तो वायु भी प्रदूषित होती नजर आई वर्तमान में वायु में पीएम 2.5 की मात्रा 250 से 300 के बीच है। एक नजर इधर से वायु प्रदूषण को लेकर यदि समय रहते कदम नहीं उठाए गए तो एक बार फिर से आप सभी को पिछले साल की तरह सांस लेने में तकलीफ हो सकती है गत वर्ष दीपावली के बाद प्रदूषण के पीएम टो 500 के आसपास था जिसकी वजह से आम जन परेशान हो गए थे ।शहर गैस चैंबर के रूप में तब्दील हो गया था।

पिछले कुछ साल में पीएम 2.5 के स्तर का हाल
2019 में प्रदूषण स्तर 450 से 500 तक का था, 2018 में पीएम 2.5 400 से 500 तक का था, 2017 में पीएम 2.5 350 से 400 तक का था, 2016 में पीएम 2.5 का स्तर 450 से 500 तक का था।

इन चीजों से बढ़ता है प्रदूषण स्तर
खुले में पड़े कूड़े के ढेर मैं आग लगाने से जो तुम और निकलता है वह बहुत ही जानलेवा और जहरीला होता है जिससे प्रदूषण स्तर काफी हद तक बढ़ता है। पराली का जलाना भी प्रदूषण पर बड़ा बढ़ने का एक कारण है, रोड पर उड़ती धूल भी एक मुख्य कारण है जिसकी वजह से प्रदूषण स्तर काफी हद तक बढ़ता है। वाहनों से निकलता काला धुआं एवं जनरेटर का प्रयोग बीएफ मुख्य कारण है जिसकी वजह से प्रदूषण स्तर काफी हद तक पड़ता है और जानलेवा और जहरीला बनता है।

शासन प्रशासन को इस भयानक समस्या की ओर गंभीरता से ध्यान देना होगा वायु प्रदूषण बनाने वाले कार्य को पर रोक लगनी जरूरी है सड़क किनारे पड़ी मिट्टी धूल बन कर उठती है तो इससे प्रदूषण का स्तर काफी भरता है आम जनता भी भरपूर सहयोग मिलना जरूरी है।

Avinash Kumar Singh

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