क्या होता है जनेऊ और इसे क्यों पहना जाता है, इसे शरीर पर क्यों धारण करते है इसी बारे में हम आपको पूरी जानकारी देंगे। सनातन धर्म जिसे अब हिन्दू धर्म कहा जाता है। इस हिन्दू धर्म में ब्राह्मण जो है जनेऊ धारण करते है। हालांकि कहने को तो ये भी कहा जाता है कि जनेऊ कोई भी धारण कर सकता है लेकिन अगर सैद्धान्तिक तोरौं पर देखा जाए तो ये टेक्निकली बात है ज्यादातर ब्राह्मण ही जनेऊ को धारण करते है।
जनेऊ धारी जो है वो ब्राह्मण कहलाते है ये एक आम बात बनी हुई है। कहा जाता है कि जो पंडित होते है वहीं जनेऊ धारण करते है। इसी के साथ इसे पहनने की और धारण करने की अलग ही रीति नीति है एक अलग ही प्रक्रिया है। उसी के बारे में हम आपको बताने जा रहे है और सबसे पहली बात आपको ये भी बताते कि जनेऊ धारण करने से बहुत सारे लाभ भी होते है।
ये तमाम लाभ जो है टेक्निकली तौर पर होते है। मल विसर्जन के पश्चात् अच्छी तरह से अपने आप की सफाई करके ही वह जनेऊ को कान से उतार सकता है, ये सफाई उसे दन्त, पेट, मुँह, जीवाणुओं के रोगों से मुक्ति दिलाता है। जनेऊ धारण करने वाला व्यक्ति गलत कामों पर ध्यान नहीं देता क्योंकि इसे धारण करने के पश्चात जनेयू हमारे दिमाग को सचेत करता रहता है।कान पर जनेऊ रखने और कसने से दिमाग की नसें एक्टिव होती है जिसका सीधा संबंध स्मरण शक्ति से होता है और उसमे बढ़ोतरी होती जाती है, दिमाग तेज़ दौड़ने लगता है।
जनेऊ धारण करने वाले मनुष्य के आस पास बुरी आत्माओं का वास होना असंभव हो जाता है तथा आत्माएं इन लोगो के पास भटक भी नहीं सकती है।
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