रावण लंका का राजा व ज्योतिष विद्या का विद्मान था। कहते हैं रावण ने अपने ज्योतिष चेतना के प्रबल से सभी ग्रहों को अपने एक स्थिति में रहने के लिए बाध्य कर दिया था। उसी समय जब सभी ग्रह रावण के भय से व्यथित थे। उसी समय सूर्य पुत्र कर्मफलदाता शनि रावण का विरोध कर रहा था।
रावण की संगिनी मंदोदरी जब मेघनाथ को जन्म देने वाली थी। तब रावण ने नवग्रहों को एक निश्चित समय मे रहने के लिए बाध्य कर दिया था। जिससे उत्पन्न होने वाला पुत्र अत्यंत तेजस्वी ,शौर्य, पराक्रम से युक्त होता।
लेकिन जब मेघनाद का जन्म हुआ तो बाकी सभी ग्रहों ने रावण के भय से उसकी आज्ञा का पालन किया परन्तु ठीक उसी समय शनि ग्रह ने अपनी स्थिति में परिवर्तन कर लिया। शनि देव के इस परिवर्तन से उनका पुत्र पराक्रमी तो हुआ लेकिन अल्पायु हो गया।
इस बात पर रावण भयंकर क्रोधित हो गयेव गुस्से में आकर आ रावण ने शनि के ऊपर गदा से प्रहार कर दिया जिससे शनि के एक पैर म चोट लग गई और वह लँगड़े हो गए। मेघनाद अल्पायु होने के कारण रामायण के युद्ध मे लक्ष्मण द्वारा मार गया था।
अगर शनि देव विरोध नही करते तो मेघनाद को हरा पाना संभव नही था। सूर्य पुत्र शनि महाराज न्याय करने वाले हैं। जो व्यक्ति जैसा कर्म , शनि देव उसको वैसा ही फल देते हैं।
Wrtitten By – Sonali
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