आज एक मानकीकृत ई-बोली प्रक्रिया को मिली मंजूरी, अब बनेंगे ई-बिडिंग के लिए दिशानिर्देश

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आज कैबिनेट बैठक में मिली गैस मार्केटिंग गाइडलाइंस को मंजूरी के बाद ईस्टर्न रेलवे के ईस्ट वेस्ट कॉरिडोर परियोजना को भी कैबिनेट ने इजाजत दे दी है। इस मौके पर मीडिया के माध्यम से अपनी बात पहुंचाते हुए केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर, पीयूष गोयल और धर्मेंद्र प्रधान ने सरकार की तरफ से कई मुद्दों पर विशेष जानकारी दी जिसमें कोरोना वैक्सीन,
ईस्ट-वेस्ट मेट्रो कॉरिडोर प्रोजेक्ट समेत कई मुद्दों को सम्मिलित किया गया।

इस मौके पर पत्रकारों से रूबरू होते हुए केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने बताया कि कैबिनेट ने आज 8,575 करोड़ रुपये की लागत से ईस्ट-वेस्ट मेट्रो कॉरिडोर प्रोजेक्ट को पूरा करने की मंजूरी दे दी। इससे मास ट्रांजिट सिस्टम को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा, ईस्ट-वेस्ट मेट्रो कॉरिडोर प्रोजेक्ट की कुल रूट लंबाई 16.6 किमी और इस पर 12 स्टेशन होंगे। वहीं यह परियोजना यातायात भीड़ को कम करेगी, शहरी संपर्क को बढ़ाएगी और लाखों दैनिक यात्रियों के लिए एक स्वच्छ गतिशीलता समाधान प्रदान करेगी।

केंद्रीय मंत्री जावड़ेकर ने कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर नए अभियान के बाबत बात करते हुए कहा कि मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग और हाथ धोना कोरोना वैक्सीन के अभाव में सुरक्षित रहने के लिए एकमात्र हथियार हैं। सार्वजनिक स्थानों पर इन उपायों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के अभियान को जल्द ही शुरू कर दिया जाएगा।

वहीं पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बताया कि जीवाश्म ईंधन के आयात पर हमारी निर्भरता कम हो रही है. प्राकृतिक गैस मूल्य निर्धारण तंत्र को पारदर्शी बनाने के लिए मंत्रिमंडल ने आज एक मानकीकृत ई-बोली प्रक्रिया को मंजूरी दी। ई-बिडिंग के लिए दिशानिर्देश बनाए जाएंगे। उन्होंने कहा, सरकार भारतीय उपभोक्ताओं को सस्ती कीमत पर ऊर्जा उपलब्ध कराना चाहती है. इसके लिए हम विभिन्न स्रोतों जैसे सौर, जैव-ईंधन, जैव-गैस, सिंथेटिक गैस और कई अन्य माध्यमों से ऊर्जा प्रदान करना चाहते हैं।

आगे भारत और जापान के रिश्तों पर जानकारी देते हुए जावड़ेकर ने बताया कि जापान के साथ सहयोग ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं, जिसमें दोनों देशों के बीच साइबर सुरक्षा और अन्य सहयोग पर ज्ञान और प्रौद्योगिकी का पारस्परिक आदान-प्रदान किया जाएगा। उन्होंने बताया कि कनाडा के साथ एक अन्य समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं, जिसमें भारत के जूलॉजिकल सर्वे और कनाडा में इसी तरह के निकाय ने पशु जनन के बार-कोडिंग पर सहमति व्यक्त की है।