बरोदा उपचुनाव के नामांकन को लेकर उलझी दोनों पार्टियां जातीय समीकरण बिठाने की है नीति

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बरोदा उपचुनाव के नामांकन को लेकर मात्र 2 दिन बचे है सभी उम्मीदवार टिकट की दौड़ में आखरी छोर पर है लेकिन अभी प्रत्याशीओ के नाम घोषित नहीं किया गए है लेकिन 15 अक्टूबर को तीनो बड़ी पार्टी अपने उम्मीदवारो के नाम की घोषण कर सकती है। हो सकता है कुछ उलट फेर भी देखने को मिले।

आज की राजनैतिक परिवेश को देखते हुए लगता है की यह सभी पार्टी बाहरी दलों पर भी विश्वास दिखा रही है इस समय किसी भी दल का कोई भी नेता टिकट के चक्कर में अपना दल छोड़ कर दूसरी पार्टी में शामिल हो सकती है।

बरोदा उपचुनाव के नामांकन को लेकर उलझी दोनों पार्टियां जातीय समीकरण बिठाने की है नीति

इन दो दिन में सभी पार्टियों में बड़े फेर बदल की आशंका नजर आ सकती है अगर बात करे देश की बड़ी पार्टी की तो सूत्रों के अनुसार यह भी खबर आ रही है की दोनों पार्टियों ने अपने उम्मीदवार चुन लिए गये है पर दोनों ही पार्टी एक दूसरे के प्रतियाशी के नाम के घोषणा के इंतजार में में बैठी है।

जिससे यह पता लगाया जा सके की सामने वाली पार्टी किस जाति के उम्मीदवार को मैदान में उतरेगा ताकि उसी हिसाब से जातीय समीकरण को साधा जा सके। इस उपचुनाव में सभी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। इस चुनाव पर सभी की नजर गढ़ी हुई है इस लिए सभी अपनी पार्टी से जाने माने चेहरे ही चुनावी मैदान में उतर जायेंगे

कांग्रेस में चल रहा है गुटबाजी का दौर


कांग्रेस के कई नेताओ का मानना है की कांग्रेस के पुराने नेताओ को टिकट दिया जाये यही प्रदेश अध्यक्ष कुमारी सैलजा और राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सुरजेवाला आदि चाहते है की यंहा से विधायक रहे स्व कृष्ण हुड्डा के बेटे जीता हुड्डा को टिकट दी जाये वही अन्य कहते है की किसी नए चेहरे को टिकट दी जाये

जातीय समीकरण की साठ गांठ बिठाने में उलझी भाजपा

बरोदा हल्का जाट बहुल क्षेत्र है इसको लेकर भाजपा का मन है की किस जाट उमीदवार को टिकट दी जाये ऐसे में पिछली बार चुनाव लड़ चुके जेजेपी के भूपेंद्र को इस बार भाजपा अपनी साइड से टिकट दे सकती है

वही अब देखना यह होगा को इतनी सारी तैयारियों के बाद बरोदा उपचुनाव के बात किसी उमीदवार के कंधो पर टिकिट की जिम्मेदारी होगी