प्रदूषण का स्तर जिस खतरनाक तरीके से प्रतिदिन बढ़ रहा है, उसने सरकार की चिंता बढ़ा दी है। प्रदूषण को नियंत्रण में करने के लिए सरकार आए दिन नई तरकीबें निकाल रही है। इसी बीच राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) ने पटाखों को 7 नवंबर से 30 नवंबर के बीच बैन करने को लेकर फैसला लिया है। बहरहाल, फैसले को सुरक्षित कर लिया गया है पर राज्यों की सरकारों से इस पर जवाब मांगा है।
बता दें कि एनजीटी ने 4 राज्यों उत्तर प्रदेश हरियाणा दिल्ली और राजस्थान से बढ़ते प्रदूषण की समस्या पर जवाब मांगा है। संभावना यह भी है कि इन राज्यों में 7 नवंबर से पूरे महीने के लिए पाठकों के इस्तेमाल और खरीद पर बैन लगाया जा सकता है। दिल्ली सरकार ने भी एनजीटी से कल, 6 नवंबर तक का वक्त मांगा है। जिससे प्रदूषण को लेकर आज होने वाली मीटिंग के लिए गए फैसलों की जानकारी एनजीटी को दी जा सके।
बता दें कि सरकार ने अनेकों प्रयास किए जिस कहते हैं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने दो टीमों का भी गठन किया था जो प्रदूषण को नियंत्रण में रखने के लिए सुचारू रूप से काम कर रही थी पर फिर भी इन प्रयासों के बाद भी प्रदूषण को नियंत्रण में करने की कोई सफलता हाथ नहीं लगी है।
जिसके बाद यह समस्या खतरनाक रूप से बढ़ती ही चली जा रही है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी का कहना है कि अगर बढ़ते बढ़ते प्रदूषण की समस्या को नियंत्रण में नहीं किया गया तो परिणाम भयंकर हो सकते हैं।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने ग्रीन पटाखों को चलाने की मंजूरी दी है लेकिन प्रदूषण का स्तर जिस खतरनाक स्थिति पर पहुंच चुका है ऐसे में अगर पटाखों को पूरी तरह से बैन नहीं किया गया तो सांस लेने के मरीजों कोविड पेशेंट्स और आंखों की तकलीफ से जूझ रहे लोगों के लिए काफी दिक्कत हो सकती है।
इस पर पटाखों के कार्य कारोबारियों का कहना है कि पहले ही आर्थिक मंदी की मार से परेशान मजदूरों को इस दिवाली पर थोड़े मुनाफे की उम्मीद थी जो कि सरकार के इस निर्णय से टूट जाएगी। इतना ही नहीं कुछ लोगों ने तो इस पाबंदी को धार्मिक भावना को आहत करने वाला भी बता दिया। एक कारोबारी का कहना है कि सारी बंदिशे और पाबंदी हिंदू त्योहारों पर ही क्यों लगाई जाती है इस पर सरकार उन्हें जवाब दे।
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