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दीपावली के त्यौहार पर नाम के लिए जगमगाता है आसमान, लेकिन फीकी होती है हर चेहरे की मुस्कान

झिलमिल रोशनी से जगमगाती वो रात और लोगों के घर लेकर आती है खुशियों की सौगात, कुछ अलग ही होती है दिवाली की बात। दीपावली एक ऐसा शब्द जो हर व्यक्ति के चेहरे पर मुस्कान और अलग ही उत्साह लेकर आती है। यह त्योहार हर हिंदू धर्म में सबसे ज्यादा हर्षोल्लास से मनाया जाने वाला त्यौहार होता है।

जिसे लेकर बच्चे से लेकर बूढ़ा भी खूब उत्साहित दिखता है। वहीं महिलाओं की बात करें तो एक समय था जब महिलाओं को घर से निकलने की फुर्सत तक नहीं मिलती थी और आज भी कहीं ना कहीं ऐसा ही है कि महिलाएं मेहमानों की खातिरदारी में इतनी व्यस्त हो जाती है कि उन्हें दीपावली आई और गई इसका पता ही नहीं चलता है।

दीपावली के त्यौहार पर नाम के लिए जगमगाता है आसमान, लेकिन फीकी होती है हर चेहरे की मुस्कान

पुराने समय में दीपावली के त्यौहार पर जहां पूरा परिवार एक साथ बैठकर माता लक्ष्मी की पूजा किया करते थे, तो वहीं महिलाएं अपने हाथों से और घर के शुद्ध सामग्री से ही मिठाइयां तैयार करके पूरे घर के मुख मिष्ठान से चखाती थी।

वही आज के समय की बात करें तो अब लोगों के पास इतना समय ही नहीं है कि वह एक साथ घर में समय व्यतीत कर पाए। वही बात करें मिठाइयों की तो लोगों के पास इतना समय नहीं रहता है कि वह घर में मिठाइयों को बनाए।

इसलिए लोग मिष्ठान भंडार पर इतना निर्भर हो गए हैं कि त्योहारों में भी अपने घर पर बाजारों से बनी हुई मिठाई को लाना पसंद करते हैं। यह सब जानने के बावजूद भी कि बाहर बनी मिठाइयों में तरह तरह के केमिकल का उपयोग किया जाता है जो सेहत के लिए हानिकारक भी होता है।

वही पुराने समय में दीपावली के अवसर पर मेहमानों का तांता घर में लगा ही रहता था। लोगों का आवागमन इतना रहता था कि घर की महिलाएं उनकी सेवा करने में ही व्यस्त रह जाती थी, और रसोई से बाहर निकलने की फुर्सत उनको नसीब नहीं हो पाती थी।

वही उस समय में मेहमान एक दूसरे के घर जब जाते थे तो मिठाइयों और खुशियों की सौगात भी लेकर जाते थे। एक दूसरे के साथ समय व्यतीत करते थे बच्चों को बुलाकर उन्हें अपना आशीर्वाद देते थे। वहीं अब यह नजारा बिल्कुल बदला हुआ नजर आता है मेहमानों को आने की फुर्सत ही नहीं होती और जो मेहमान आते भी है तो वह कुछ मिनट के लिए रुक कर फिर से अलविदा ले लेते हैं।

वही बच्चों की बात करें तो बच्चों को घर में रुकने का मन ही नहीं करता, और उनका मन पटाखों में मग्न हो कर रह जाता है। चाहे दिवाली का त्यौहार हर वर्ष आता है लेकिन अब बीते समय के साथ-साथ सब कुछ परिवर्तित होता हुआ दिखाई दे रहा है। भले ही त्योहारों पर लोग खुश नजर आते हैं लेकिन वह खुशहाली अब कहीं बदलते परिवर्तन में लिप्त होती हुई प्रतीत होती हैं।

deepika gaur

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