1000 साल से भी पुरानी उस मूर्ति के अंदर निकला कुछ ऐसा कि…

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सदियों पुरानी मूर्ति के कई राज़ आए सामने और इन राज़ों के सामने आने से सभी सकते में हैं और सोचने पर मजबूर हैं कि क्या ऐसा भी होता होगा, लेकिन हां, ऐसा बिल्कुल हुआ होगा, क्योंकि शोध तो यही बताता है। वैज्ञानिक भी कुछ ऐसा ही कहते हैं कि मूर्ति के रूप में बौद्ध भिक्षु रहे होंगे।

क्या आपने कभी सोचा है कि अगर आप आस्था के चलते हुए लीन हो जाएं और फिर आप उठें ही ना। वैसे ऐसा आज के दौर में बहुत मुमकिन नहीं लगता है लेकिन फिर भी सोचा तो जा ही सकता है। खैर चलिए अब हम आपको एक ऐसी ही स्टोरी को बताने के लिए सदियों पीछे लिए चलते हैं ताकि आप भी जान सकें कि ऐसा आखिर मुमकिन है तो फिर कैसे

1000 साल से भी पुरानी उस मूर्ति के अंदर निकला कुछ ऐसा कि…

दरअसल हम आपको एक हज़ार साल पुरानी मूर्ति के बारे में बताने जा रहे हैं। ये बात करीब चार साल पुरानी है और बात चीन की है। यहां के वैज्ञानिकों ने एक मूर्ति के बारे में जानने की कोशिश की और जैसे-जैसे उस मूर्ति के राज़ खुलते गए वैसे-वैसे वैज्ञानिक भी सकते में जाते चले गए।

अब ये राज़ वैज्ञानिकों के लिए भी सोचने वाले थे। लेकिन जब वैज्ञानिकों ने सोचा था कि सदियों पुरानी मूर्ति के और भी राज़ जाने जाएं तो उन्होंने उसे स्कैन करने की सोची ताकि मूर्ति के अंदर की कहानी को बिना तोड़े ही जाना जा सके और फिर वैज्ञानिकों ने किया भी कुछ ऐसा ही।

1000 साल से भी पुरानी उस मूर्ति के अंदर निकला कुछ ऐसा कि…

अब जब मूर्ति को स्कैन किया गया तो मूर्ति के अंदर हड्डियां मिलीं, जिसे देखकर सभी चौंक गए। और फिर उसके बाद जैसे-जैसे मूर्ति का परीक्षण किया गया तो नए-नए राज़ सामने आने लगे। जिससे सभी चौंक रहे थे। अब ये एक हजार साल पुरानी मूर्ति एक बौद्ध भिक्षु का शरीर बताया जा रहा है।

बात ये भी निकलकर सामने आई कि शरीर ममी से बना था। शोध के मुताबिक बौद्ध भिक्षु साधना की अवस्था में थे। खोज से पता चला कि बौद्ध भिक्षु की मृत्यु 1100 ईस्वी के आसपास हुई थी। वैसे इस ममी को देखने से ऐसा नहीं लगता है कि बौद्ध भिक्षु ने खुद ममी बनाई होगी।

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ऐसा माना जाता है कि कुछ लोगों ने अपने शरीर को लेपित किया होगा, ताकि मृत्यु के बाद उनके शरीर सुरक्षित रहें। वैज्ञानिकों के अध्ययन से पता चलता है कि ये बौद्ध भिक्षु छह साल की उम्र में मर गया होगा। ये भी माना जाता है कि अवशेष झांग के हैं।

उन्हें पैट्रिआर्क झांगगोंग और लिउक्वान झांगोंग के नाम से भी जाना जाता था। अब ऐसा भी माना जा रहा है कि कुछ लोगों ने इस भिक्षु के शरीर पर लेप लगाया होगा ताकि मृत्यु के बाद उनका शव सालों तक सुरक्षित रह सके। वहीं इस मामले में वैज्ञानिकों द्वारा की गई जांच में ये बात भी सामने आई कि इस बौद्ध भिक्षु की मृत्यु 37 साल की आयु में हो गई होगी।

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खैर अब ये सभी कयास ही लगाए जा रहे हैं और वैज्ञानिकों के शोध के मुताबिक ही ये तमाम बातें निकलकर सामने आ रही हैं। अब वास्तव में सच्चाई क्या रही होगी ये तो उस समय के लोग और कुदरत ही जानती होगी।

खैर आगे चाहे जो भी निकलकर सामने आए लेकिन इतना ज़रूर है कि हमें बीते समय से भी सीख लेनी चाहिए और वर्तमान से भी समझना चाहिए ताकि भविष्य को उज्जवल किया जा सके।