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120 साल बाद आया “ली नीना” वर्ष हरियाणा में इस बार सर्दी तोड़ेगी सारे रिकॉर्ड

साल 2020 हर तरीके से खास रहा है तो फिर सर्दिया भी खास है आप भी इस बार कड़ाके की ठण्ड देखने के लिए तैयार हो जायेंगे क्योंकी इस बार आपको ॉक्टबर में ही जनवरी की ठण्ड का एहसास हो जायेगा कहा जा रहा है की ये 120 साल में 40वां ‘ला नीना’ वर्ष है.

इस साल ठिठुरन के साथ-साथ शीतलहर, कोहरा भी छाया रहेगा. 20 दिसंबर से लेकर 20 जनवरी तक मौसम पर ‘ला नीना’ का असर रहेगा.बता दें कि ला नीना के दौरान तापमान सामान्य से कम रहता है.इस बार ला नीना वर्ष होने के कारण सर्दी जल्दी शुरू हो गई है.मौसम विभाग की मानें तो ये साल पिछले 10 सालों में सबसे ठंडा साल होने वाला है.

120 साल बाद आया "ली नीना" वर्ष हरियाणा में इस बार सर्दी तोड़ेगी सारे रिकॉर्ड120 साल बाद आया "ली नीना" वर्ष हरियाणा में इस बार सर्दी तोड़ेगी सारे रिकॉर्ड

मौसम विभाग के प्रमुख ने अपनी भविष्यवाणी के पीछे प्रशांत महासागर पर कमजोर ‘ला नीना’ की स्थिति के उभार को जोड़ा है. ला नीना को स्पेनिश भाषा में छोटी बच्ची कहा जाता है.

मृत्युंजय महापात्रा ने कहा कि अनुमान मौसम के पैटर्न पर आधारित है जो दूर दराज प्रशांत महासागर पर बनता है. उन्होंने बताया कि अगर ‘एल नीनो’ और ‘ला नीना’ के पैरामीटर को बड़े पैमाने पर समझा जाए तो इस साल भारत अधिक ला नीना की स्थिति का सामना करेगा.

जिसके चलते देश के उत्तरी भाग पर मौजूद तापमान कम हो जाएगा और इसके नतीजे में सर्दी का मौसम पहले की तुलना में ज्यादा लंबा होगा. हालांकि, इसका प्रभाव दुनिया भर में बड़े पैमाने पर पड़ेगा.

कई राज्यों में हो रही बारिश, पहाड़ी क्षेत्रों में बर्फबारी की संभावना : देश से दक्षिण-पश्चिम मॉनसून की विदाई लगभग हो चुकी है. लेकिन, अब भी कई राज्यों में कम दवाब के चलते रुक-रुक कर बारिश हो रही है. मौसम विभाग ने अलर्ट जारी करते हुए बताया है कि अगले कुछ दिनों में देश के कई राज्यों में हल्की बारिश होने की संभावना है.

मौसम विभाग के मुताबिक, केरल, तमिलनाडु, पुडुचेरी में तेज बारिश हो सकती है. इसके अलावा मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा और नगालैंड में कुछ जगहों पर बारिश होने की संभावना है. पश्चिमी विक्षोभ की वजह से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के कुछ इलाकों में बारिश और ऊंचे पहाड़ी क्षेत्रों में हल्की बर्फबारी हो सकती है.

क्या होता है ला नीना

मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार ला नीना एक समुद्री प्रक्रिया है. इसके तहत समुद्र पानी ठंडा होना शुरू हो जाता है. समुद्री पानी पहले से ही ठंडा होता है, लेकिन इसके कारण उसमें ठंडक और बढ़ती है. इसका असर हवाओं पर भी पड़ता है. इससे कई इलाकों में इस साल जोरदार सर्दी पड़ने की संभावना है.

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