कहते है समय के साथ सब ठीक हो जाता है पर कुछ अदृश्य घाव जीते जी तो बिल्कुल नहीं भर सकते। ऐसा इसलिए क्योंकि जब तक जिंदगी होगी तब तक घाव चाह कर भी नहीं भरे जा सकते।
खासकर जब बात धूमधाम से मनाए जाने वाले त्यौहार की हो और एक प्यारा सा बंधन भाई बहन का हो तो हर भाई और बहन को यह दिन सर्वश्रेष्ठ लगता है। पर उस भाई के दर्द को कैसे दूर किया सकता है जिसने अपनी इकलौती छोटी बहन को अपने आंखों के सामने दम तोड़ते देखा हो।
हम बात कर रहे है फरीदाबाद के बल्लबगढ़ स्थित अग्रवाल कॉलेज के सामने हुए गोलीकांड में जान गवाने वाली छात्रा निकिता तोमर के भाई नवीन तौमर की। आज भाई बहन का खास त्यौहार भाई दूज है।
ऐसे में जब छात्रा निकिता के भाई नवीन तौमर ने अपना दर्द साझा किया तो उनकी भी आंखें अपनी बहन को याद कर नम हो आई।
नवीन ने बताया कि 20 दिन से ज़्यादा समय बीत चुका है उनकी बहन उनके साथ नहीं है। उन्होंने कहा आज भी घर जाने पर उनकी बहन की आवाज़ घर में गूंजती है। उनका मन उन्हें कचोटने लगता है।
उन्होंने कहा कि अब कोई भी त्यौहार उन्हें खास वजह नहीं लगती खुश होने के लिए। उन्होंने कहा जब तक जिंदगी है तब तक कोई त्यौहार अब उनकी बहन की यादों को ताज़ा नहीं कर सकती।
नवीन ने बताया कि हर वर्ष उनकी छोटी बहन निकिता घर के सामने दीवाली के अवसर पर रंगोली बनाया करती थी, खुशी से सबको मिठाई खिलाकर खुद खुश होना दूसरों को खुश करना वो हर लम्हा याद आता है। उन्होंने कहा बहन के जाने के बाद अब क्या दीवाली ओर क्या कोई त्यौहार सब फिका हो गया है।
उन्होंने कहा जहां हर वर्ष धूमधाम से दीवाली बनाई जाती थी इस वर्ष घर में पूजा तक नहीं की गई। उन्होंने कहा कि अब घर जाने का दिल नहीं करता, निकिता की यादें घर के हर कोने में बसी है जो रह रह कर उसके साथ हुए दर्दनाक मंजर को याद दिलाती है।