विकास के नाम पर आमजन की सांसों पर काबू पा रही है सरकार, बढ़ते प्रदूषण के बीच 2000 पौधे कटने को तैयार

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इन दिनों विकास के नाम पर सड़कों का निर्माण या यूं कहें बाईपास के कार्यों को चरम सीमा तक पहुंचाने के लिए दिल्ली-वड़ोदरा-मुंबई एक्सप्रेस-वे के लिए बाईपास किनारे दो हजार से अधिक छोटे-बड़े पेड़ काटे जाने का कार्य शुरू होने को है।

पर हम बात कर रहे हैं कि अगर बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण पर लगाम लगाने की जगह पेड़ पौधों की कटाई में व्यस्त हो जाएंगे तो इसकी भरपाई कैसे होगी। जहां एक तरफ बाईपास रोड़ के निर्माण के लिए योजना तैयार कर ली है, लेकिन बदले में 2000 से अधिक पेड़ों को काटने का निर्णय लिया गया है उसकी भरपाई के लिए सब मौन साधे हुए हैं।

विकास के नाम पर आमजन की सांसों पर काबू पा रही है सरकार, बढ़ते प्रदूषण के बीच 2000 पौधे कटने को तैयार

वही भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) और हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण(एचएसवीपी) अधिकारी एक-दूसरे की जिम्मेदारी बता रहे हैं, जबकि पेड़ काटने का काम जल्द शुरू होने वाला है। जानकारी के मुताबिक बाईपास दिल्ली से वड़ोदरा एक्सप्रेस वे का हिस्सा बनेगी।

इसके लिए एनएचएआइ ठेका भी दे चुकी है। वही अभी फिलहाल ठेका लेने वाली कंपनी की ओर से बाईपास पर मिट्टी परीक्षण का काम जोरों शोरों से किया जा रहा है। अब एनएचएआइ यहां सबसे पहले पेड़ों की कटाई कराना चाहता है।

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जो पेड़ जिस विभाग की जमीन पर आ रहे हैं, उन्हें वही विभाग काटेगा। ऐसे में एक साथ इतनी बड़ी संख्या में पेड़ पौधों की कटाई की जाएगी तो पर्यावरण पर क्या असर पड़ेगा, इसका सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है।

बताते चले कि यह एक्सप्रेस-वे दिल्ली में डीएनडी फ्लाइओवर से शुरू होगा और आगरा नहर के साथ-साथ सेक्टर-37 आकर बाईपास रोड से जुड़ जाएगा। कैल गांव के पास एक्सप्रेस वे राष्ट्रीय राजमार्ग को पार करेगा और सोहना पहुंचेगा और कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेस-वे से कनेक्ट हो जाएगा। वहां से वड़ोदरा व मुंबई एक्सप्रेस-वे को लिक कर दिया जाएगा।

हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के कार्यकारी अभियंता जोगीराम कहते हैं कि औद्योगिक नगरी देश के सबसे अधिक प्रदूषित नगरों में शुमार है। यहां वायु गुणवत्ता सूचकांक आम दिनों में भी खतरनाक श्रेणी के आसपास रहता है।

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यही कारण है कि हर साल अक्टूबर से मार्च तक यहां ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान लागू करना पड़ता है। इस प्लान के तहत प्रदूषण फैलाने वाली सभी गतिविधियों पर रोक होती है। नियम यह है कि जब किसी विकास योजना को मूर्तरूप देने के लिए पेड़ काटे जाते हैं,

तो उसके बदले 10 गुना पेड़ दूसरी खुली जगह पर लगाए जाते हैं, पर यहां तो फिलहाल यही नहीं पता कि पेड़ कौन लगाएगा। बाईपास किनारे हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण की जमीन है। हमें जमीन बिल्कुल साफ चाहिए। इसलिए यह प्राधिकरण के अधिकारी तय करेंगे कि काटे जाने वाले पेड़ों की भरपाई कैसे करेंगे।

धीरज सिंह जो कि एनएचआई के परियोजना प्रबंधक है उन्होंने बताया कि जल्द बाईपास को एनएचएआइ के हैंडओवर कर दिया जाएगा। पेड़ों की कटाई के बाद इसी भरपाई को लेकर एनएचएआइ ही योजना बनाएगी।