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DSP ने जिस भिखारी के लिए गाड़ी रोकी, वो निकला उनका ही दोस्त शार्प शूटर सब इंस्पेक्टर

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वक्त कब किस ओर करवट ले ले ये किसी को नहीं पता होता। जी हां यह वक्त ही जो किसी राजा को रंक बना सकता है। समय बदल जाए तो किसी भिखारी को भी राजा बनने में देर नहीं लगती। ऐसा ही कुछ वाकया मध्य प्रदेश के ग्वालियर देखने को मिला।

आपको बता दे कि ऐसी घटना उस समय दिखाई दी जब रात को डीएसपी रत्नेश तोमर और विजय भदौरिया गश्त पर निकले थे। इसी दौरान उन्हें झांसी रोड पर बंधक वाटिका के पास एक भिखारी कचरा बिनते हुए दिखाई दिया। दोनों ने पास जाकर देखा तो भिखारी ठंड से ठिठुर रहा था।

DSP ने जिस भिखारी के लिए गाड़ी रोकी, वो निकला उनका ही दोस्त शार्प शूटर सब इंस्पेक्टर

उसके बाद जो हुआ उसका अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता। जब पास जाकर देखा तो दोनों पुलिस अफसर के होश उड़ गए। दरअसल वो भिखारी कोई और नहीं उन्हीं के बैच का एस‌आई मनीष मिश्रा था, पुलिस अधिकारी मनीष मानसिक स्थिति खराब होने के कारण इस हाल में पहुंचा था।

DSP ने जिस भिखारी के लिए गाड़ी रोकी, वो निकला उनका ही दोस्त शार्प शूटर सब इंस्पेक्टर

मनीष की हालत देख दोनों पुलिस अफसर भावुक हो गए और अपने आंसू को नहीं रोक पाए। दोनों मनीष से काफी देर तक पुराने दिनों की बात करने की कोशिश की और अपने साथ ले जाने की जिद्द भी की लेकिन मनीष साथ जाने को राजी नहीं हुए।

DSP ने जिस भिखारी के लिए गाड़ी रोकी, वो निकला उनका ही दोस्त शार्प शूटर सब इंस्पेक्टर

इसके बाद दोनों अधिकारियों ने मनीष को एक समाजसेवी संस्था में भिजवाया। वहां मनीष की देखभाल शुरू हो गई है। आपको बता दें कि एस‌आई मनीष मिश्रा मध्य प्रदेश के 1999 बैच के पुलिस अधिकारी हैं जो एक समय अचूक निशानेबाज भी थे।

DSP ने जिस भिखारी के लिए गाड़ी रोकी, वो निकला उनका ही दोस्त शार्प शूटर सब इंस्पेक्टर

2005 तक मध्य प्रदेश के विभिन्न शहरों में नौकरी करने वाले सब इंस्पेक्टर मनीष की आखिरी तैनाती दतिया जिले में थी जहां वह बतौर थाना प्रभारी पोस्टेड थे।

DSP ने जिस भिखारी के लिए गाड़ी रोकी, वो निकला उनका ही दोस्त शार्प शूटर सब इंस्पेक्टर

इसी दौरान उनकी मानसिक हालात इतनी बिगड़ गयी कि उनको नौकरी छोड़नी पड़ी। फिर वो कुछ समय तक घर में ही रहे। उनका इलाज काफी अस्पतालों में करवाया गया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। फिर कुछ दिनों बाद वो घर से भाग गए और दर दर की ठोकरे खाने लगे।

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