How to teach children the difference between Good Touch and Bad Touch in Hindi :- देशभर में महिला अपराध के साथ साथ बाल अपराध की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। बच्चों से शोषण से जुड़े मामले सामने आना अब आम बात ह9 गयी है। केन्द्र और राज्य सरकार इसपर कोई सख्त कानून बनाने में नाकाम है।
ऐसी स्थिति में, बदलते समय के साथ अब ये जरूरी हो गया है कि बच्चे भी अपनी सुरक्षा को लेकर अलर्ट रहें। बच्चों को इसके प्रति जागरूक होना पड़ेगा लेकिन इनका सबसे पहला कारण होता है कि बच्चों को ये मालूम ही नहीं होता कि उन्हें किस तरह से छुआ जा रहा है।
इसलिए परिवार के सदस्यों के लिए जरूरी है कि घर के बच्चों को ये सिखाया जाए कि, आखिर गुड टच और बैड टच में अंतर क्या है? ताकि, वो खुद जागरूक रहें और समय पर अपने माता पिता को इस संबंध में सूचित कर सकें।
जी हां कई बार ऐसा देखा जाता है कि कई ऐसे टीचर्स या बुरे इंसान होते है जो बच्चों की नासमझी समझकर गलत जगह छूते है।
ऐसे में बच्चों को उनके शरीर के बारे में पूरी जानकारी दें। बच्चों को बताएं कि उनके निजी अंग कौन से हैं। बच्चों को बताएं कि शरीर के इन हिस्सों को किसी को न छूने दे।
How to teach children the difference between Good Touch and Bad Touch in Hindi
अच्छा स्पर्श (Good Touch) – जब कोई आपको छूए और आपको उसका स्पर्श अच्छा लगे तो इसे गुड टच कहा जाता है।
बुरा स्पर्श (Bad Touch) – जब कोई आपको छूए और आपको ये बुरा लगे तो ये बैड टच होता है। इसके अलावा यदि कोई अनजान शख्स आपके प्राइवेट पार्ट को छूने का प्रयास करे तो ये भी बैड टच होता है।
यहां तक कि बच्चों को जानकारी देने के बाद आप भी बच्चों के शरीर के उन हिस्सों को न छुएं। इससे उन्होंने एहसास होगा कि वाकई इन्हें किसी को भी छूने नहीं देना चाहिए।
बच्चे को उसकी शारीरिक संरचना के बारे में समझाएं। उसे बताएं कि शरीर में कुछ अंग ऐसे होते हैं जिन्हें सभी को दिखाया जा सकता है, बल्कि कुछ प्राइवेट अंग को सिर्फ आप खुद ही देख सकते हैं। इन प्राइवेट अंगों को छूने का अधिकार सिर्फ आपके पास होता है।
अगर उन्हें कोई गलत तरीके से छूने की कोशिश करे तो वे प्रताड़ित करने वाले से डरे नहीं और उन्हें ऐसा न करने के लिए बोलें। प्रताड़ित करने वाले से बचने के लिए हल्ला मचाएं ताकि आसपास के लोग उसकी चीख सुनकर उसे बचा सकें।
वहीं ये जरूरी है कि बच्चों को पता हो कि सही और गलत क्या है ताकि वे किसी दूसरे की गलत हरकतों के कारण खुद को गलत न समझें।
उन्हें समझाएं कि उन्हें प्रताड़ित करने की कोशिश करने वाले गलत है वे नहीं। उनमें किसी भी हादसे को लेकर अपराधबोध का भाव न आने दें।