केंद्र सरकार द्वारा पारित किया गया कृषि अध्यादेश केंद्र सरकार के लिए गले की फांस बनता हुआ दिखाई दे रहा है। इसे लेकर जहां देशभर में किसानों का प्रदर्शन तूफान की तरह बढ़ता जा रहा है। वही नेताओं में खींचतान का माहौल बना हुआ है।
दरअसल, जहां इस अध्यादेश का विरोध प्रदर्शन किसानों द्वारा जमकर हो रहा है तो वही सोशल मीडिया पर 2 राज्यों के सीएम एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। जिनमें हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर और पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह शामिल है।
दरअसल, गुरुवार की सुबह जब ट्विटर के माध्यम से हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल से प्रश्न करते हुए पूछा कि किसानों को आखिर दिल्ली जाने से क्यों रोका जा रहा है? उन्होंने कहा कि शांतिपूर्ण तरीके से दिल्ली जा रहे किसानों पर क्रूरता से बल प्रयोग करना पूरी तरह अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक है।
उन्होंने यह भी लिखा कि यह दुखद है कि संविधान दिवस के मौके पर किसानों के संवैधानिक अधिकार को इस तरह से प्रताड़ित किया जा रहा है।
वहीं कैप्टन ने हरियाणा के मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि वे किसानों को अपने राज्य से गुजरने दें और किसानों का गुस्सा न भड़काएं। साथ ही यह भी लिखा कि किसानों को उनकी आवाज शांति से दिल्ली ले जाने दें।
करीब दो महीने से किसान बिना किसी समस्या के पंजाब में शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। हरियाणा सरकार ताकत का सहारा लेकर किसानों को क्यों उकसा रही है। कैप्टन ने सवाल किया कि क्या किसानों को सार्वजनिक राजमार्गों से शांति से गुजरने का अधिकार नहीं है।
पलटवार करते हुए हरियाणा सरकार ने कुछ ऐसे दिया जबाव
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने ट्वीट किया कि ‘कैप्टन अमरिंदर जी, मैंने पहले भी कहा और अब दोबारा कह रहा हूं कि अगर न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कोई आंच आई तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा। कृपा कर किसानों को भड़काना बंद कर दें।’
एक अन्य ट्वीट में मनोहर लाल ने लिखा कि ‘मैं तीन दिन से आपसे बात करने की कोशिश कर रहा हूं। लेकिन आप इससे दूर रहने का फैसला किया। इससे यह पता चलता है कि आप किसानों के मुद्दे पर कितना गंभीर हैं। आप सिर्फ ट्वीट कर रहे हैं और बातचीत से भाग रहे हैं।
तीसरे ट्वीट में मनोहर लाल ने कहा कि ‘आपके झूठ और प्रोपोगैंडा का वक्त खत्म हो गया है। लोगों को अपना असली चेहरा देखने दीजिए। मैं आपसे आग्रह करता हूं लोगों के जीवन से ना खेलें और कोरोना महामारी के वक्त ऐसी सस्ती राजनीति से बचें।’