किसान विरोधी कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली कूच कर रहे किसानों पर किए जा रहे दमन के खिलाफ कर्मचारियों व मजदूरों ने शनिवार को आक्रोश प्रदर्शन किया। सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के बेनर तले बीके चौक पर आयोजित इस प्रर्दशन में रिटायर्ड कर्मचारी संघ हरियाणा व किसान संधर्ष समिति नहर पार से जुड़े किसानों व पेंशनर्स ने भी भाग लिया।
प्रर्दशन में सर्व सम्मति से पारित किए गए प्रस्ताव में भाजपा-जजपा सरकार द्वारा दिल्ली कूच कर रहे किसानों पर आश्रु गैस के गोले बरसाने, पानी की बौछार मारने व लाठीचार्ज करने की घोर निन्दा की गई और किसानों के आंदोलन का तन-मन-धन से सहयोग एवं समर्थन करने का फैसला लिया गया।
प्रर्दशन का नेतृत्व किसान संधर्ष समिति नहर पार के संयोजक सतपाल नरवत, अखिल भारतीय किसान सभा के जिलाध्यक्ष नवल सिंह, रिटायर्ड कर्मचारी संघ हरियाणा के उपाध्यक्ष यूएम खान, सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष नरेश कुमार शास्त्री, जिला प्रधान अशोक कुमार, सचिव बलबीर सिंह बालगुहेर,प्रेस सचिव राजबेल देसवाल, कोषाध्यक्ष युद्धवीर सिंह खत्री,उप
प्रधान अतर सिंह केशवाल, शब्बीर अहमद, गांधी सहरावत, मास्टर भीम सिंह व डिगम्बर डागर आदि नेता कर रहे थे।
प्रदर्शनकारियों ने प्रर्दशन से पहले सभा का आयोजन किया और इसके बाद बीके चौक से नीलम चौक तक जुलूस निकालते हुए सरकार के खिलाफ और किसानों के आंदोलन के समर्थन में नारेबाजी करते हुए प्रर्दशन किया। प्रर्दशन में आरोप लगाया गया है तीनों कृषि कानून कारपोरेट को फायदा पहुंचाने के लिए जबरन बनाएं गए हैं,जो किसानों को बर्बाद कर देंगे।
प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा को गिरफतार करने के प्रयासों की घोर निंदा की।
आक्रोश प्रदर्शन में शुक्रवार को किसानों के समर्थन में शनिवार को किए जाने वाले प्रर्दशन के निर्णय के बाद गुप्तचर विभाग एकदम सक्रिय हो गया। नरेश कुमार शास्त्री ने बताया कि शुक्रवार को चावला कालोनी पुलिस चौकी प्रभारी ने दल बल के साथ प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा को गिरफ्तार करने उनके आवास पर छापेमारी की । प्रदेशाध्यक्ष लांबा कोविड संक्रमण से पीड़ित हैं और होम कोरनटाइन है।
मेडिकल रिपोर्ट देखने के बाद ही पुलिस को वापस लोटने पर मजबूर होना पड़ा। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन से भयभीत सरकार संविधान द्वारा प्रदत्त जनवादी एवं लोकतांत्रिक अधिकारों पर लगातार हमले कर रही। उन्होंने कहा कि पुलिस ने आज भी शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने से भी रोकने का प्रयास किया। उन्होंने आरोप लगाया कि धारा 144 और मेनेजमेंट डाइजेस्टर एक्ट का दुरूपयोग किया जा रहा है। जिसको किसान, मजदूर, कर्मचारी,छात्र व नौजवान किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं कर सकते।
अखिल भारतीय किसान सभा के जिलाध्यक्ष नवल सिंह व किसान संधर्ष समिति नहर पार के संयोजक सतपाल नरवत ने प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि मोदी सरकार ने कारपोरेट को फायदा पहुंचाने के लिए किसानों के प्रतिनिधि संगठनों से विचार-विमर्श किए बिना संसद में जबरन तीन कृषि बिलों को पास कर लिया। जबकि किसान संगठनों की यह मांग ही नहीं थी। किसान संगठन तो लंबे समय से स्वामीनाथन कमीशन की रिपोर्ट लागू करने और किसानों के कर्ज माफ करने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं।
कारपोरेट को फायदा पहुंचाने के लिए मोदी सरकार ने तीन कृषि बिलों को पास कर जले पर नमक छिड़कने का काम किया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री व अन्य मंत्री यह जबानी तो कह रहे हैं कि एमएसपी व मंडी दोनों रहेंगे। लेकिन पारित किए बिलों में इसका कोई जिक्र तक नहीं है। किसानों का कहना है कि जबानी तो प्रधानमंत्री ने दो करोड़ रोजगार प्रति साल देने व काला धन वापस लाकर 15 लाख रुपए सभी के खातों में डालने कहा था। जो अभी तक पूरा नहीं हुआ। इसको लेकर प्रधानमंत्री के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो सकती, क्योंकि इसका कोई कानून नहीं है। इसलिए लिखतम के आगे बखतम नही चलती। किसान एमएसपी व मंडी व्यवस्था, दोनों आश्वासन कानूनों में लिखित रूप में चाहते हैं,जो सरकार करने को तैयार नहीं है, इसलिए सरकार व किसानों के बीच टकराव बना हुआ है।
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