सिंधु बॉर्डर से ही अपने विरोध प्रदर्शन को जारी रखने के लिए सैकड़ों किसानों ने भरी हुंकार

0
241

वो कहते हैं ना जब इंसान के अंदर जज्बा हो तो पहाड़ जितनी मुश्किलें भी उस व्यक्ति को आगे बढ़ने से रोक नहीं सकती। ऐसा ही कुछ नजारा दिल्ली की सिंधु बॉर्डर पर देखने को मिल रहा है। जहां कृषि कानून के विरोध में सैकड़ों किसानों द्वारा इसका प्रदर्शन किया जा रहा है।

वही पुलिस बल भी अपनी तमाम कोशिश करने के बावजूद किसानों को तस से मस तक नहीं कर पाई। दरअसल, अब किसानों को जहां केंद्र सरकार ने बात करने का प्रस्ताव रखा था लेकिन उसे मना करते हुए किसानों ने ठान लिया है

सिंधु बॉर्डर से ही अपने विरोध प्रदर्शन को जारी रखने के लिए सैकड़ों किसानों ने भरी हुंकार

कि वह बॉर्डर से ही अपने प्रदर्शन को जारी रखेंगे। उन्होंने आगे यह भी बताया कि वह हर रोज सुबह 11 बजे आगे की रणनीति बनाएंगे।

जहां एक तरफ किसानों की भारी संख्या होने के चलते जाम की समस्या उत्पन्न हुई है। वहीं दिल्ली हरियाणा बॉर्डर पर भारी संख्या में सिक्योरिटी फोर्स भी तैनात कर दी है, ताकि इस विरोध प्रदर्शन में किसी भी तरह की अनहोनी ना हो सके। शनिवार शाम देखा गया कि आंदोलनकारियों द्वारा हाईवे पर ही तंबू लगाना शुरू कर दिया गया।

इतना ही नहीं पंजाब हरियाणा और यूपी के किसान भी लगातार आते रहे। यह संख्या भी लगातार बढ़ती रही। दिल्ली के नॉर्दर्न रेंज के ज्वाइंट सीपी सुरेंद्र यादव ने बताया कि किसान अभी शांति से बैठे हैं और अब तक प्रशासन का भी पूरी तरह सहयोग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनका उद्देश्य लॉ एंड ऑर्डर को कायम रखना है।

सिंधु बॉर्डर से ही अपने विरोध प्रदर्शन को जारी रखने के लिए सैकड़ों किसानों ने भरी हुंकार

यादव आगे बोले कि वे निश्चय कर चुके हैं कि आंदोलनकारियों को किसी भी तरह की परेशानी का सामना ना करना पड़े।

उधर, केंद्रीय मंत्री अमित शाह का कहना है कि सरकार बातचीत करने के लिए 3 दिसंबर का दिन चुन चुकी है। वहीं इस दिन में किसानों के साथ चर्चा करने के लिए पूरी तरह तैयार है।

उन्होंने किसानों से अपील करते हुए कहा कि वह दिल्ली के बाहरी इलाके यानी कि बुराड़ी में निरंकारी समागम ग्राउंड पर प्रदर्शन करें। वही यह सब सुन किसान बोले कि साथ आकर बात करें ना कि अपनी शर्तों के साथ।

भारतीय किसान यूनियन के पंजाब प्रेसिडेंट जगजीत सिंह ने बताया कि रविवार सुबह इस बातचीत के प्रस्ताव को लेकर फैसला करेंगे। उन्होंने कहा एक तरफ तो केंद्रीय मंत्री अमित शाह किसानों से मिलकर चर्चा करने की बात कर रहे हैं। वहीं दूसरी और उन्होंने किसानों से अपील करते हुए अपनी शर्त भी रख दी है।

उन्होने कहा अगर वह बातचीत ही करना चाह रहें थे, तो उन्हें इस तरह अपनी शर्त रखने की आवश्यकता नहीं थी, यह बिल्कुल उचित नहीं है। भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि विरोध रामलीला मैदान में होता है। फिर हमें निजी जगह निरंकारी भवन में क्यों जाना चाहिए? हम आज यहीं रहेंगे।