वैसे तो अमूमन देखा जाता है कि हर घर परिवार में पुरुषों की चलती है। पुरुष ही घर और परिवार का मालिक होता है। हर फैसला औरत से पहले पुरुष लेता है लेकिन महिला भी इन सब में आगे बढ़ रही है। वो अब अपने फैसले खुद लेना चाहती है।
अब एक ऐसा जगह जहां पूरी तरह से औरतों की ही चलती है। जी हां यहां कि औरते को पूरी आजादी है और अपने फैसले खुद लेती है। वैसे तो पाकिस्तानी में औरतें बुर्के में लिपटी रहती हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि पाकिस्तान में अफगानिस्तान के बॉर्डर से सटा एक ऐसा इलाका है, जहां रहने वाली औरतें खूबसूरत और बिंदास होती हैं।
यहां एक खास कबीला है, जहां औरतों को भरपूर आजादी हासिल है। औरतें कलरफुल कपड़े पहनती हैं। वो अमूमन अपने फैसले खुद लेती हैं। शादी ब्याह में वो अपनी मनमर्जी से चलती हैं। इस समुदाय की कुछ खासियतें भी हैं।
पाकिस्तान के इस इलाके में रहने वाले लोग कलाशा जनजाति के हैं। ये जनजाति पख्तूनख्वा प्रांत में चित्राल घाटी के बाम्बुराते, बिरीर और रामबुर क्षेत्र में रहती है। पाकिस्तान का ये इलाका हिंदू कुश पहाड़ों से घिरा हुआ है।
आपको बता दे कि साल 2018 में पहली बार कलाशा जनजाति को पाकिस्तान की जनगणना के दौरान अलग जनजाति के तौर पर शामिल किया गया।
इसी गणना के अनुसार इस समुदाय में कुल 3,800 लोग शामिल हैं. यहां के लोग मिट्टी, लकड़ी और कीचड़ से बने छोटे-छोटे घरों में रहते हैं और किसी भी त्यौहार पर औरतें-मर्द सभी साथ मिलकर शराब पीते हैं।
वहीं कलाशा जनजाति में घर के लिए कमाने का काम ज्यादातर औरतों ने संभाला हुआ है। वे भेड़-बकरियां चराने के लिए पहाड़ों पर जाती हैं।
घर पर ही पर्स और रंगीन मालाएं बनाती हैं, जिन्हें बेचने का काम पुरुष करते हैं। ऐसे में इस तबके में औरतों को मनपसंद साथी चुनने की पूरी आजादी है।
वे पति चुनती हैं, साथ रहती हैं लेकिन अगर शादी में साथी से खुश नहीं हैं और कोई दूसरा पसंद आ जाए तो बिना हो-हल्ला वे दूसरे के साथ जा सकती हैं।