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मेट्रो की आड़ में काटे 7050 पेड़, कहां लगे पौधे जानकारी देने से नज़रे चुराते दिखे अधिकारी

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आरटीआई की बात करें तो इसकी फुल फॉर्म होती है राइट टू इनफार्मेशन। वही हिंदी में इसका तात्पर्य होता सूचना का अधिकार। इस विभाग का कार्य होता है सही जानकारी हर व्यक्ति को उपलब्ध करवाना।

परंतु उदासीनता के कारण विभाग के अधिकारी सूचना उपलब्ध करवाने से नजरें चुराते हुए दिखाई दे रहे हैं। कई बार तो अधिकारियों द्वारा यह कहकर भी पल्ला झाड़ लिया जाता है कि अभी कोई जानकारी नहीं दी जा सकती है।

मेट्रो की आड़ में काटे 7050 पेड़, कहां लगे पौधे जानकारी देने से नज़रे चुराते दिखे अधिकारी

ऐसा ही कुछ जब एक आरटीआई एक्टिविस्ट एसोसिएशन के प्रधान के साथ हुआ तो उन्होंने द्वितीय अपील के लिए केंद्रीय सूचना आयोग का सहारा लिया। हम बात कर रहे हैं आरटीआई एक्टिविस्ट एसोसिएशन के प्रधान अजय बहल की जिन्हे आरटीआई द्वारा संतुष्ट जवाब ना मिल पर उन्होंने केंद्रीय सूचना आयोग में अपील कर दी है।

जिसमें उनका सवाल मेट्रो कारिडोर के रास्ते में काटे गए 7050 पेड़ों को लेकर है। अजय बहल ने 26 सितंबर 2020 को डीएमआरसी (दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन) में लगाई आरटीआइ में पूछा कि बदरपुर बार्डर से बल्लभगढ़ तक मेट्रो कॉरिडोर के लिए कितने पेड़ काटे गए और इनकी भरपाई के लिए कितने लगाए गए और कहां।

परंतु इसका जवाब एक महीने बाद भी ना मिल सका। बताते चलें कि बहल की तरफ से 27 अक्टूबर को प्रथम अपील की गई थी। उधर अधिकारियों द्वारा जवाब तलब देते हुए यह कहा गया कि मेट्रो के लिए 7050 पेड़ काटे गए। उनकी तरफ से यह भी बताया गया कि इसकी एवज में 7191 पौधे लगाए गया।

मेट्रो की आड़ में काटे 7050 पेड़, कहां लगे पौधे जानकारी देने से नज़रे चुराते दिखे अधिकारी

परंतु इसमें एक बात सही से नहीं बताई गई थी कि आखिर पेड़ कहां लगाए गए हैं। अजय बहल ने बताया कि उक्त सूचना जनहित में है, इसलिए डीएमआरसी अधिकारियों को यह जानकारी देनी चाहिए। उन्हाेंने बताया कि अब द्वितीय अपील से उम्मीद है कि यह जानकारी मिल जाएगी।

अजय बहल ने जानकारी देते हुए बताया कि औद्योगिक नगरी में लगातार वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़ रहा है। वही बदलते मौसम यानी कि सर्दियों में यह स्तर 400 से 450 के आसपास रहता है। फिलहाल यह स्तर 400 के आसपास ही है। ऐसे में बेहद जरूरी होने पर ही पेड़ों को काटा जाना चाहिए। काटे गए पेड़ों की भरपाई के लिए नियमानुसार 5 या 10 गुणा अधिक पौधे लगाए जाने भी जरूरी हैं, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है।

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