जानिये क्यों शादी से एक दिन पहले दो बहने दूल्हे की तरह सज घोड़ी पर निकली

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कन्या भूण हत्या पर लगाम लगाने के लिए शादी से पहले घोड़ी पर दो बहने दूल्हे की तरह सहरा पहनकर निकली है सामज को आइना दिखती दो बहनों ने वो कर दिया जिसे करने के लिए बहुत जिगर की जरूरत होती है

शादी एक ऐसा पवित्र बंधन होता है, जहां ना सिर्फ दो व्यक्तियों का बल्कि दो आत्माओं का मिलन होता है। यही कारण है कि शादी बड़ी धूमधाम से होती है, और इस दिन ही दूल्हा घोड़े पर बैठ सेहरा बांध दुल्हन के घर उसे ब्याहने धूम-धड़ाके के साथ पहुंचता है।

जानिये क्यों शादी से एक दिन पहले दो बहने दूल्हे की तरह सज घोड़ी पर निकली

आप सोचेंगे यह तो सामान्य बात है इसमें नया क्या है? नया तो इसमें दो बहनों ने कर दिखाया है जो शादी से पहले खुद घोड़ी पर बैठ, सेहरा बांध नोटों की माला पहन निकासी के लिए निकली। दरअसल, यह नजारा भिवानी जिले के अंतर्गत आने वाले ढाणाजोगी में देखने को मिला।

जहां घोड़ी पर दूल्हे की तरह सजी-धजी नोटों की माला पहन और सिर पर सेहरा बांध दो बहने शादी से पहले निकासी यानी बनवारा के लिए निकली। निशा व नीलम दोनों सगी बहन है। दोनों ने सोमवार को अपनी शादी से पहले घोड़ी पर बनवारा (न‍िकासी) निकालकर एक नई पहल की शुरुआत की। वैसे तो पहले भी उक्त जिले में ऐसे ही नजारे देखने को मिले हैं। मगर इस गांव में पहली बार ऐसा हुआ है। दोनों ही बहनों की शादी 9 दिसंबर को होने वाली है।

जानिये क्यों शादी से एक दिन पहले दो बहने दूल्हे की तरह सज घोड़ी पर निकली

दहेज प्रथा व कन्या भ्रूण हत्या जैसी कुरीतियों को छोड़कर बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का संदेश देते हुए दोनों बेटियों ने घोड़े पर बैठकर बान (न‍िकासी) निकाला। इस न‍िकासी में दुल्हन समेत परिवार के लोग गांव में डीजे के गानों पर थिरकते नजर आए।

जानकारी के लिए बताते चलें कि इस तरह की निकासी अक्सर लड़कों की शादी में निकाला जाता है लेकिन इस गांव में पहली बार ऐसा हुआ है कि किसी दुल्हन में दूल्हे की तरह अपना बनवारा निकाल है। यह नजारा देखने के लिए पूरा गांव एकत्रित हुआ था।

जानिये क्यों शादी से एक दिन पहले दो बहने दूल्हे की तरह सज घोड़ी पर निकली

इस मौके पर गांव की बाकी लड़कियों के लिए मिसाल बनी निशा व नीलम ने बताया कि उनके बनवारा निकाले जाने से वह दोनों बेहद खुश हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि परिवार ने शुरू से ही हमें लड़को की तरह रखा है। उनके ऊपर कभी भी परिजनों से किसी प्रकार का प्रतिबंध नहीं लगाया गया था। यही कारण है कि आज वह दोनों किसी भी लड़कों से कम नहीं है।

इस तरह के प्रोग्राम के लिए प्रेरित करते हुए बेटियों के पिता जिले सिंह, मास्टर जगदीश, रमेश, अनिल बताया कि हमारा गांव ढाणाजोगी सबसे अलग विचारधारा वाला है। लड़कों व लड़कियों में किसी में भी भेदभाव नहीं किया जाता है। दुल्हन ने घोड़े पर अपना बनवारा निकाला है। बनवारा दुल्हन के चाचा चरण सिंह व अनिल ने बेटियों को घोड़ी पर बैठा कर निकाला।