भारत बंद के समर्थन में उतरे कांग्रेसी मुख्यमंत्री मनोहर लाल का पुतला फूंका        

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भारत बंद के समर्थन में फरीदबाद के कांग्रेसी नेताओं ने मंगलवार को बड़ा प्रदर्शन किया और किसान आंदोलन को अपना समर्थन दिया। कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष कुमारी सैलजा के निर्देश पर आयोजित इस प्रदर्शन में
केंद्र सरकार द्वारा पारित किए गए 3 कृषि बिलों के खिलाफ बी के चौक पर जोरदार प्रदर्शन किया गया।

प्रदर्शनकरियों का नेतृत्व विधायक नीरज शर्मा कर रहे थे। कांग्रेसी नेताओं ने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल का पुतला भी फूंका ओर भाजपा सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।  किसानों की मांगों का समर्थन करते हुए नेताओं ने सभी मांगों को जायज करार दिया है। कांग्रेसी नेताओं ने कहा कि यह बहुत बड़ी विडंबना है

भारत बंद के समर्थन में उतरे कांग्रेसी मुख्यमंत्री मनोहर लाल का पुतला फूंका        

कि हमारा देश कृषि प्रधान है फिर भी आज कृषि कानूनों को बनाने से पूर्व किसानों की राय नहीं ली जाती। कानून बनाते समय ऐसे किसान संगठनों को बुलाया जाता है, जिन्हें उनकी पूरी जानकारी तक नहीं होती, जिसके चलते वह किसानों के हित और अहित को सही प्रकार से नहीं रखते।

उन्होंने कहा कि किसानों के इस आंदोलन से समाज के अन्य वर्ग भी प्रभावित हो रहे है, सडक़ों पर लगातार हो रहे विरोध प्रदर्शन के चलते एक बॉर्डर से दूसरे बॉर्डर तक जाने के लिए लोगों को मशक्कत करनी पड़ रही है। सरकार को इस मामले को गंभीरता से लेते हुए इसे तुरंत हल करना चाहिए और किसानों की सभी मांगों को तुरंत मानते हुए उनके इस आंदोलन को बंद करवाना चाहिए।

भारत बंद के समर्थन में उतरे कांग्रेसी मुख्यमंत्री मनोहर लाल का पुतला फूंका        

विधायक नीरज शर्मा ने आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज हुए मुकदमों को भी रद्द किए जाने की भी मांग की। कांग्रेसी नेताओं ने कहा की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसानों के हितैषी होने का दम भर रहे हैं, मगर जो दशा बीजेपी सरकार में देश के किसानों की हुई है ऐसी पहले कभी नहीं हुई। देश का किसान आज सड़कों पर मर रहा है मगर भाजपा नेताओं को इसकी जरा भी परवाह नहीं।

भारत बंद के समर्थन में उतरे कांग्रेसी मुख्यमंत्री मनोहर लाल का पुतला फूंका        

विधायक नीरज ने कहा कि बीजेपी सरकार के उल्टे दिन शुरू हो गए है, अब समय आ गया है सरकार को उखाड़ फेंकने का। कांग्रेस पूरी तरह से किसानों के हित में है और जब तक किसानों की मांगे पूरी नहीं होती, कृषि अधिनियम वापिस नहीं लिए जाते आंदोलन जारी रहेगा।