जहां अभी तक कृषि कानून के बिल नेताओं के लिए गले का फांस बने हुए थे। वही अब किसानों का आंदोलन उद्योगपतियों के नाक में दम कर रहा है। इसका कारण यह है कि आंदोलन के चलते उद्योग जगत की व्यवस्था डगमगा रही है,
और करोड़ों की चपत लगने के बाद अब यही उद्योगपति सरकार से अपील कर रहे हैं कि जल्द से जल्द किसानों के आंदोलन का कोई हल निकाले और इस आंदोलन को जितना जल्दी हो सके खत्म करें। जानकारी के मुताबिक आंदोलन शुरू होने से लेकर अभी तक करीब 2100 करोड़ रुपए का भुगतान भुगतना पड़ा है।
इसका कारण यह है कि औद्योगिक क्षेत्रों में जो दैनिक कार्यों मे इस्तेमाल किए जाने वाले मालो का आदान-प्रदान होता था वह नहीं होने के कारण नुकसान झेल रहे हैं। फैक्ट्रियां बंद होने के कारण अभी तक केवल अकेला सोनीपत जिला करीबन 1950 करोड़ रुपए का नुकसान झेल चुका है। वहीं प्रदेश के अन्य जिले भी करोड़ों का नुकसान झेलने के लिए आतुर हैं।
किसान आंदोलन का केंद्र कुंडली होने के कारण सबसे ज्यादा प्रभावित वहां पड़ रहा है। कारोबारियों का कहना है कि अगर लगातार यही हालात बने रहे थे उद्योग क्षेत्रों को बर्बाद होने से और कोई नहीं रोक सकता इसलिए सरकार को जरूरी है कि वह जल्दी से जल्दी इस आंदोलन को खत्म करें।
कृषि कानून रद्द कराने के लिए किसानों ने नेशनल हाईवे 44 के सिंघु बॉर्डर पर डेरा डाला हुआ है। किसानों का पड़ाव सिंघु बॉर्डर से लेकर कुंडली को पूरा घेरते हुए केजीपी-केएमपी के गोल चक्कर तक है और लगातार बढ़ता जा रहा है।
इस तरह प्रदेश के बड़े व राष्ट्रीय राजधानी से सटे औद्योगिक क्षेत्रों में शामिल कुंडली पूरी तरह से बंद हो गया है। इसके साथ ही नाथूपुर सबौली का औद्योगिक क्षेत्र भी सभी रास्ते पूरी तरह से बंद है। वहीं राई, मुरथल व बड़ी औद्योगिक क्षेत्र की फैक्टरी आंशिक रूप से चल रही है।
यातायात के साधनों पर पाबंदी लगने के कारण ना तो सामान फैक्टरियों से सप्लाई होने के लिए निकल पा रहा है और ना ही कच्चा माल फैक्ट्री पहुंच पा रहा है।
पैकिंग का गत्ता, बोतल के ढक्कन समेत अन्य काफी ऐसा सामान है, जिसके सहारे ही अन्य सामान का उत्पादन करके पैकिंग करके सप्लाई किया जा सकता है।
ऐसे में यहां की जगह अन्य जगहों सामान बनवाना शुरू कर दिया है और इस तरह पिछले 13 दिन में कुंडली, नाथूपुर सबौली, राई, मुरथल, बड़ी के औद्योगिक क्षेत्र में करीब 1950 करोड़ रुपये का नुकसान उद्यमियों को हुआ है।
कुंडली औद्योगिक एसोसिएशन सुभाष गुप्ता का कहना है कि लंबे समय से चल रहे किसान आंदोलन के कारण फैक्ट्री मालिकों की हालत खस्ता होती जा रही है। उन्होंने कहा कि इसका सबसे ज्यादा नकारात्मक प्रभाव कुंडली औद्योगिक क्षेत्र में देखने को मिल रहा है।
जहां अभी तक करीब 1050 करोड रुपए का नुकसान यह क्षेत्र झेल चुका है। उन्होंने कहा कि अगर हालात ऐसे ही बनी रहे तो उद्यमियों को फैक्ट्री बचाना भारी पड़ जाएगा। उन्होंने कहा उधर किसान अपना धरना प्रदर्शन बंद नहीं कर रहे और सरकार है कि उनकी बात मानने को राजी नहीं है। ऐसे में उद्योगपति बीच मझधार में फंस चुके हैं।
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