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पांच साल पहले उठाए गए सरपंच जनप्रतिनिधि की वस्तिवकता को आज किया सत्य

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हरियाणा के मनोहर लाल सरकार की सत्ता के पहले चैप्टर में यह दृढ निश्चय किया गया था कि गांव की सरकार का मुखिया यानी कि सरपंच शिक्षित होना चाहिए। वहीं यह भी कहा गया था कि सरपंच प्रतिनिधि जैसे शब्द को समाप्त करते हुए महिला जनप्रतिनिधि को मूल अधिकारों से अवगत कराया जाएगा। वही 5 साल पहले निर्णय लिया गया था वह वास्तविकता में अब धरातल पर प्रमाण होता हुआ दिखाई दे रहा है।

चलिए जानते हैं डबवाली खंड के गांव बनवाला के बारे में। B.a. पास सरपंच सुमन देवी कासनिया ने जहां एक तरफ पंचायत को आत्मनिर्भर बना दिया। वहीं दूसरी तरफ गांव की सालों पुरानी समस्या को पलक झपकते ही हल करने की हिम्मत दिखाई है।

पांच साल पहले उठाए गए सरपंच जनप्रतिनिधि की वस्तिवकता को आज किया सत्य

सीधे तौर पर बात की जाए तो प्रत्येक ग्रामीणों को फायदा पहुंचा कर अभी तक ऐसे 40 परिवार लाभ आमंत्रित हो चुके हैं। यह वही परिवार है जिनके पास पंचायत की 108 एकड़ जमीन को जोतने के अलावा आर्थिक मंदी को दूर करने का कोई दूसरा विकल्प ही नहीं था।

जानकारी के मुताबिक पंचायत का कार्यभार सुमन के हाथों में वर्ष 2016 में आया था। वही वर्ष 2017 में पंचायती भूमि का ठेका लेने वाले 40 परिवार आकर रो पड़े कि सालों से वे बीरान भूमि में ग्वार-बाजरी बिजांत करते आ रहे हैं।

उन्होंने बताया कि उनके पास इतना पर्याप्त जल भी नहीं था कि वह अपनी फसलों को बचा सके। सरपंच ने इस मुद्दे पर अपने पति प्रहलाद कासनियां समेत गांव के बुद्धिजीवियों से चर्चा की।

इस बारे में विचार विमर्श करने के बाद उन्हें सुझाव आया कि गांव के भूमिगत जल का इस्तेमाल किया जा सकता है वहीं यह जग मीठा भी होता है। इस जल का उपयोग खेती के लिए उत्तम था।

साथ ही बोरवैल कर दिए जाएं तो बारिश के दिनों में ओवरफ्लो की समस्या से निजात पाई जा सकती है। फिर क्या था सुमन ने जोहड़ किनारे दो सबमर्सिबल लगाए।

करीब 4000 फीट लंबी 14 इंंच आरसीसी पाइप लाइन बिछाकर पंचायती जमीन तक पानी पहुंचा दिया। किसानों की किस्मत खुल गई। पिछले तीन सालों से किसान गेहूं और कपास की खेती कर रहे हैं। 9 लाख रुपये ठेके पर छूटने वाली जमीन के बदले पंचायत के खाते में 30 लाख रुपये सालाना आने लगे। आत्मनिर्भर हुई पंचायत ने गांव के विकास के द्वार खोल दिए

आत्मनिर्भरता की कसौटी पर पंचायत खरी उतरती प्रतीत हो रही है। खेत-पगडंडियां पक्की होती जा रही हैं। गांव बनवाला के तहत करीब 240 ढाणियां आती हैं। घुकांवाली, नुहियांवाली रोड पर 50-50 ढाणियां हैं, जबकि खारियां रोड पर सर्वाधिक करीब 120 ढाणियां स्थित हैं।

इसके अलावा रत्ताखेड़ा, चक्कां, सादेवाला रोड पर 20 ढाणियां हैं। ढाणियों को जाने वाला रास्ता इंटरलॉक टाइल या फिर ईंटों से पक्का होने लगा है। अब ग्रामीणों को किसी कार्य के लिए कोई व्यक्ति सड़क पर नहीं बुलाता। न ही फसल की भरी ट्रॉली गड्ढे में फंसती है।

बनवाला की सरपंच सुमन देवी कासनियां का कहना है कि गांव के बीचोंबीच बने जोहड़ पर दो सबमर्सिबल लगाने से पंचायत की आमदनी करीब साढ़े तीन गुणा बढ़ गई। वहीं, छह रिचार्ज बोरवैल लगने से जोहड़ ओवरफ्लो की समस्या का समाधान हो गया।

साथ ही बरसात के दिनों में गांव में पानी निकासी की समस्या समाप्त हो गई। वहीं भूमिगत जल स्तर स्थाई बना रहने में सहयोग मिला। जो आमदनी हुई, उससे पंचायत ने ढाणियों या खेतों के रास्ते पक्के करवाकर विकास में मील का पत्थर स्थापित किया।

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