जहां किसानों का आंदोलन है कि रुकने का नाम नहीं ले रहा। वहीं मौसम बदलने के साथ साथ ही कई किसानों की हालत खराब होती देख परिजनों से रहा नहीं जा रहा और वे उनका हाल जानने के लिए दिल्ली हरियाणा बॉर्डर का रुख कर रहे हैं।
जहां कृषि कानून के खिलाफ किसानों के आंदोलन को 2 सप्ताह पूरा होकर आज 15 दिन होने को है। ऐसे में इस आंदोलन में ना सिर्फ पंजाब, हरियाणा बल्कि यूपी उत्तराखंड से लेकर राजस्थान के किसान भी अपना समर्थन देने पहुंच रहे हैं।
उक्त राज्यों से आने वाले सभी किसान भी यही मांग कर रहे है कि केंद्र सरकार द्वारा दिए गए कृषि कानूनों को वापस लेना चाहिए। वही यहां मौसम का मिजाज बदलने से और ठंड पड़ने से बॉर्डर पर मौजूद कुछ किसानों की हालत बिगड़ने लगी है। ऐसे में इसकी सूचना परिजन सुनते ही अपने परिवार के सदस्य को संभालने के लिए परिजन पंजाब, हरियाणा का रुख अख्तियार कर रहे हैं।
वहीं जानकारी के मुताबिक अभी तक इस किसान आंदोलन में अपनी मौजूदगी दर्ज करा चुके 7 लोगों की मौत हो चुकी है। जिनमें से चार सदस्यों की मौत हादसे के कारण हुई थी, जबकि तीन अन्य की मौत कार्डिएक अरेस्ट के कारण हुई है।
जहां अपने परिजनों की बिगड़ती हालत देख परिजन उन्हें संभालने पहुंच रहे हैं, तो वहीं कुछ लोग किसानों की मदद के लिए कैंप लगाकर उनके लिए खाने की सामग्री और बेड की सुविधा मुहैया करा रहे हैं।
सोमवार को बहादुरगढ़ की रहने वाली 45 साल की रनजीत कौर दिल्ली में अपने पति, देवर और अन्य रिश्तेदारों का साथ देने आंदोलन में जा ढमकी। उन्होंने आंदोलन में पहुंचने का कारण यह बताया कि दिल्ली में मौसम के हाल आज काफी ज्यादा खराब है।
ऐसे में उन्हें यही चिंता सता रही है कि उनके पति और रिश्तेदार किस हाल में होंगे। उन्होंने कहा कि जहां एक तरफ ठंड इतनी ज्यादा हो गई है। वहीं उनके पति व रिश्तेदार अपने साथ में उचित गर्म कपड़े भी लेकर नहीं पहुंचे हैं, और उन्हें लो ब्लड प्रेशर की भी दिक्कत है। उन्होंने कहीं यही कारण है कि वह अन्य महिलाओं संग दिल्ली बॉर्डर पर आ पहुंची है।
बहादुरगढ़ से दिल्ली बॉर्डर पहुंची इन महिलाओं ने अपने साथ अदरक, हल्दी, शहद और अन्य औषधियां भी रखी है, ताकि उन से बने काढ़े को 500 किसानों को पिलाया जा सके।
ऐसे ही एक पत्नी कृष्णा का कहना है कि वह अपने पति के साथ पंजाब में रेस्तरां चलाती हैं। उन्होंने ने बताया कि उनके पति तो पहले ही आंदोलन से आ चुके हैं। उन्होंने बताया कि वहां अधिक जगह नहीं थी तो फिर ट्रक ट्रॉली के नीचे सोकर रात गुजारने पड़ रही थी। अब उनकी बेटी और दामाद भी दिल्ली बॉर्डर आ गए हैं। अब वे गुरुद्वारे में रह रही हैं और किसानों के लिए जलेबी व खीर बनाती हैं। इसके अलावा वह सर्दी जुकाम की दवा भी बांटती हैं।
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