जहां केंद्र सरकार की करनी हरियाणा सरकार के गठबंधन पर भारी पड़ी है। वही अब कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन कर रहे किसानों को सीएम दुष्यंत चौटाला के रूप में एक उम्मीद की किरण दिखाई दे रही है।
दुष्यंत चौटाला यह स्पष्ट रूप से कह चुके हैं कि केंद्रीय कृषि मंत्री और गृह मंत्री लगातार कृषि कानून मुद्दे पर गहनता से चर्चा कर रहे हैं और जल्द ही सरकार किसानों के बीच में बातचीत कर सुलह करने का पूरा प्रयास किया जाएगा।
मगर, सोचने वाली बात तो यह है कि जहां दुष्यंत चौटाला किसानों के लिए हमदर्द बन रहे है। उन्हें हर प्रकार की सुविधा मुहैया करने के लिए तत्पर होने का ढोंग रच रहे हैं, अगर वास्तव में यह हकीकत है तो वह किसानों से मिलने अभी तक क्यों नहीं आए हैं?
किसानों का धरना प्रदर्शन कर देते हुए 2 हफ्ते से ज्यादा समय बीत चुका है। वहीं अगर परिणाम की बात करें तो अभी भी किसानों की समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है।
मगर किसानों के लिए मदद की हुंकार भरने वाले दुष्यंत चौटाला केवल नाम मात्र ही मीडिया और टीवी चैनलों के माध्यम से अपनी आवाज के सारे तक पहुंचा रहे हैं। मगर वास्तविकता में अभी तक रहे किसानों का जायजा लेने तक नहीं पहुंचे हैं।
कहीं उनका किसानों से मिलना उनकी सत्ता पर हावी ना हो जाए कुछ ऐसा ही सोच अभी तक दुष्यंत चौटाला किसानों से दूरी बनाए रखे हुए हैं।
आज दिल्ली बॉर्डर पर किसान आंदोलन का 19वां दिन होने को है। उधर, नए कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलनरत किसान संगठनों के प्रतिनिधि आज एक दिन के उपवास पर बैठ गए है। सरकार के साथ वार्ता बेतनतीजा रहने के बाद किसानों ने आंदोलन को तेज कर दिया है।
दिल्ली की सीमा पर जारी आंदोलन से और भी किसानों के जुड़ने की संभावना है। वहीं किसान नेताओं ने दावा किया कि देश के सभी जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन के आह्वान के तहत अनेक जिलों में भी विरोध प्रदर्शन चल रहा है।