स्वास्थ्य मंत्री का नहीं कर पाया सरकारी अस्पताल इलाज़ तो किस बात के दावे करती है सरकार ?

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आपने वह कहावत तो सुनी होगी बिना मतलब आफत मोल लेना यह कहावत हमारे हरियाणा के गृहमंत्री यानी कि अनिल विज पर इन दिनों सार्थक होती हुई दिखाई दे रही है। दरअसल, कोवैक्सीन परीक्षण के लिए गृह मंत्री की हामी भरना उनके लिए गले की फांस बन चुकी हैं।

जहां पिछले दिनों गृह मंत्री अनिल विज की रिपोर्ट संक्रमित पाई गई थी वही लगातार उनकी हालत बिगड़ते देख अब उन्हें पीजीआई से मेदांता अस्पताल में भर्ती करा दिया गया है।

स्वास्थ्य मंत्री का नहीं कर पाया सरकारी अस्पताल इलाज़ तो किस बात के दावे करती है सरकार ?

बताते चले कि संक्रमण गृह मंत्री अनिल विज के फेफड़ों तक भी हमला कर चुका है। ऐसे में पीजीआई की टीम जहां पिछले कई दिनों से अनिल विज पर नजरे जमाई हुई थी और उनके इलाज में कोई कोर कसर नहीं छोड़े रही थी। बावजूद इसके अब जरूरत ऐसी आन पड़ी की अब मंत्री को मेदांता अस्पताल शिफ्ट करना पड़ा।

बता दें, कि जब गृहमंत्री की हालत नाजुक होते हुए दिखाई दे तो स्वयं उनके परिजनों ने उन्हें मेदांता में शिफ्ट होने की सलाह दी थी लेकिन उस समय गृह मंत्री ने परिजनों की बात को यह कहकर मना कर दिया था कि उन्हें सरकारी अस्पताल और डॉक्टरों पर पूरा भरोसा है

स्वास्थ्य मंत्री का नहीं कर पाया सरकारी अस्पताल इलाज़ तो किस बात के दावे करती है सरकार ?

और वह यहीं रहकर अपना इलाज कराएंगे। मगर, लगता है कि शायद अब स्वयं मंत्री का भरोसा भी सरकारी अस्पतालों से खत्म सा हो गया है तभी तो उन्हें अब मेदांता अस्पताल में शिफ्ट करा दिया गया है।

अब यहां सवाल यह उठता है कि जब गृह मंत्री अनिल विज ही अपना इलाज पीजीआई अस्पताल की जगह मेदांता जैसे नामी-गिरामी अस्पताल में करवाने के लिए मजबूर हो गए हैं, तो ऐसे में सरकारी अस्पताल सवालिया निशाने पर आ खड़े हुए हैं। यद्यपि देखा जाएअगर सरकारी अस्पताल में इलाज नामुमकिन है

स्वास्थ्य मंत्री का नहीं कर पाया सरकारी अस्पताल इलाज़ तो किस बात के दावे करती है सरकार ?

तो आमजन अब अपना दुखड़ा किस के आगे रोएगी। जहा प्रतिदिन संक्रमण का खतरा आमजन को अपनी जद में लेता जा रहा है, और इनकी संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। ऐसे में अब सरकारी अस्पताल नेताओं का इलाज करने में असमर्थ साबित होगी,तो आमजन अब ना तो सरकार और ना ही सरकारी अस्पतालों में अपना भरोसा दिखा पाएगा।

गौरतलब, 20 नवंबर को ही अनिल विज ने कोरोना वैक्सीन ‘कोवाक्सीन’ के तीसरे चरण का पहला टीका लगवाया था। उन्हें अंबाला कैंट के नागरिक अस्पताल में यह टीका लगाया गया था। पीजीआई रोहतक की टीम की निगरानी में ही मंत्री विज को टीका लगाया था. इसके बाद आधे घंटे तक उन्हें निगरानी में रखा गया था। इससे पहले रोहतक पीजीआई की टीम ने मंत्री अनिल विज के खून का नमूना लिया था. इसके बाद 5 दिसंबर को उन्होंने ट्वीट कर कहा था कि वे वैक्सीन लेने के बाद भी कोरोना पॉजिटिव हो गए।