किसान 25 दिनों से अपने हक हुकुम की लड़ाई में जान झोंक रहा है. यह आंदोलन आगे और कितने रूप लेगा कहना मुश्किल है लेकिन हाँ एक बात है जो इन दिनों इस आंदोलन में देखने को मिल रही है. यह आंदोलन दूसरे आंदोलन से बहुत अलग है ।
अगर आपके मन में यह सवाल है कि क्यों यह आंदोलन और आंदोलन से अलग है हम आपको बताते है ऐसा पहली बार देखने को मिल रहा है कि किसी किसान आंदोलन में महिलाओ की भूमिका ज्यादा तादात में हो रही हो .और सभी आंदोलनरत महिलाएं अपने इरादों पर मजबूत दिख रही है ।
अगर हम बात करे आने वाली सभी महिलाओं की तो बता दे कि पहले केवल पंजाब की महिलाएं ही आंदोलन में भागीदारी कर रही थी लेकिन अब हरियाणा यूपी दिल्ली और राजस्थान की नारी शक्ति इस आंदोलन का हिस्सा है।
वही यह सभी महिलाएं अपनी पूरी जिम्मेदारी भी निभा रही है ये सभी धरनास्थल पर बैठतीं है खाना बनाने के काम के साथ साथ और अन्य काम भी करती है ।
लगभग 25 दिनों से चल रहे इस आंदोलन में जहां पर कुछ दिन पहले पंजाब की चंद महिलाएं ही आंदोलन का हिस्सा बने हुए थे वहीं अब देश के अन्य राज्यों से भी महिलाएं इस आंदोलन में अपनी हक हुकुम की लड़ाई को लड़ रही हैं हम यही कारण है कि इस आंदोलन को दूसरे आंदोलनों से अलग श्रेणी में रखा गया है ।
किसान नेता खुद यह मानते हैं कि यह पहली बार हुआ है कि किसी आंदोलन में महिलाएं इतनी बड़ी तादाद में हिस्सा ले रही हैं क्योंकि अब तक मात्र पुरुष ही आंदोलनों का हिस्सा होते थे सभी को लग रहा है कि सरकार द्वारा जो कानून बनाए हैं ।
उसके कारण किसान अपनी जमीन को खो देगा तो लोगों के पास परिवार का पालन पोषण करने के लिए कुछ नहीं बचेगा .आज भी देश में बहुत से ऐसे परिवार हैं जो खेती से अपना घर चलाते है ।
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