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मौसम ने बदला मिजाज़ तो किसानों ने भी कर लिए ठंड से बचने के पुख्ता प्रबंध !

मौसम ने बदला मिजाज़ :- हरियाणा और पंजाब के हजारों के साथ इन दिनों सरकार द्वारा अपनी मांगे मनवाने के लिए दिल्ली की सीमाओं पर उतर आए हैं। इतनी बड़ी संख्या में एक किसान अपने घरों को छोड़ दिसंबर के महीने की सर्द रातें सड़कों पर बिताने को मजबूर हैं। किसानों का मानना है कि सरकार द्वारा पारित कृषि अध्यादेश किसानों के हित में नहीं बल्कि पूंजी पतियों की जेबें भरने वाले हैं।

ऐसे काले कानूनों को सरकार जल्द वापस ले ऐसा किसानों की मांग है। किसानों के इस आंदोलन के चलते दिल्ली पहुंचने के कई बॉर्डर जैसे कुंडली बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर, गाजीपुर बॉर्डर, सिंघु बॉर्डर सील कर दिए गए हैं।

मौसम ने बदला मिजाज़मौसम ने बदला मिजाज़

एक तरफ किसान अपने दृढ़ संकल्प, एकता, साहस, विश्वास और जज्बे के बलबूते दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं तो वहीं दूसरी ओर ठंड का प्रकोप भी बढ़ता जा रहा है। ठंड के इस मौसम में तापमान निरंतर घटता जा रहा है और इसी के साथ किसानों की दिक्कतें भी बढ़ रही है पर किसानों का हौसला है कि जो कम होता नजर नहीं आ रहा।

बदलते मौसम को देखते हुए किसानों ने भी ठंड से बचने के पुख्ता प्रबंध करने शुरू कर दिए हैं। इतना ही नहीं कई सामाजिक संगठन किसानों के समर्थन में उतरे हैं और सर्दी से बचने के लिए रजाई, कंबल, मोज़े, मफलर और टोपियां तक किसानों में बांटी जा रही हैं।

मौसम को ध्यान में रखकर गद्दे वितरित हुए

इतना ही नहीं मखमली और मुलायम गद्दे भी धरना स्थल पर जगह-जगह दिन भर वितरित किए जा रहे हैं। इसके अलावा मोटी मोटी लकड़ियां दिन भर सुलगती रहती है जिससे किसानों को गर्माहिश मिले।

बता दें कि धरना स्थल पर चल रहे स्वास्थ्य शिविरों से भी किसानों को भरपूर लाभ मिले ऐसी व्यवस्था की गई है। रोजाना 400 से 500 किसानों की चार्ज इन स्वास्थ्य शिविरों में चल रही है।

बढ़ती ठंड के कारण कई किसानों का स्वास्थ्य भी बिगड़ा जहां 30 से ज्यादा किसानों गंभीर रूप से बीमार हुए जिनका इलाज रोहतक पीजीआई व अन्य अस्पतालों में चल रहा है।

बदलते मौसम के इस प्रकोप को देखते हुए किसानों और अन्य सामाजिक संगठनों की आप सहमति से पंजाब से लगातार रजाई-गद्दे सप्लाई किए जा रहे हैं और खाने में गर्म खाद्य पदार्थों को महत्व दिया जा रहा है।

विरोध प्रदर्शन में किसी प्रकार की कोई कमी ना आए और किसान सर्दी से बचें रहे इसके लिए हर उपाय खोजा जा रहा है। अपनी मांग पर डटे हुए किसान धर्म का सहारा लेकर और शक्ति और साहस के लिए गुरुवाणी का पाठ भी निरंतर कर रहे हैं यही नहीं मुख्यमंत्री भी दिन में दो से तीन बार गुरुवाणी का पाठ होता है।

Avinash Kumar Singh

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Avinash Kumar Singh

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