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सर्विस बुक पूरी नही होने पर लगा गया खुला दरबार , 45 शिकायत हुईं दर्ज

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फरीदाबाद : सरकारी स्कूलों में तैनात पूर्व अधिकारी व प्रिंसीपल की वज़ह से पूरी नहीं हुई सर्विस बुक। इसको लेकर खुला दरबार में जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी रितु चाैधरी ने दो दिन का समय दिया। गुरुवार को दूसरा खुला दरबार बल्लभगढ़ खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय परिसर में लगाया गया।

इसमें कुल 45 शिकायतें आई, जिनमें से कुछ शिकायतों का समाधान नहीं हुआ है, जिन्हें दो दिन में पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं।

सर्विस बुक पूरी नही होने पर लगा गया खुला दरबार , 45 शिकायत हुईं दर्ज

सभी शिकायतें एचआरएमएस, अपार, एसीआर सर्विस बुक, एसीपी से संबंधी थी। आलम यह रहा कि 2009 से लेकर आज तक सर्विस बुक पूरी नहीं हुई। गुड़गांव से अरविंद आई, जिसकी सर्विस बुक पूरी नहीं हुई। फरीदाबाद से ट्रांसफर होकर वह गुड़गांव चली गई थी,

लेकिन फरीदाबाद से सर्विस बुक पूरी होने के बाद गुड़गांव के अधिकारी सर्विस बुक पूरी करेंगे। इस काम के लिए अरविंद फरीदाबाद में वर्षों से धक्के खा रही थी, पर अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे थे। ऐसे ही दिव्यांग महिला टीचर नीलम की भी सर्विस बुक से संबंधी शिकायत थी। नीलम भी काफी समय से अधिकारियों के चक्कर लगा रही थी, परंतु किसी ने उसकी पीड़ा को नहीं समझा।

सर्विस बुक पूरी नही होने पर लगा गया खुला दरबार , 45 शिकायत हुईं दर्ज

जब उसे पता चला कि अध्यापकों की समस्याओं के समाधान के लिए खुले दरबार का आयोजन हो रहा है तो उसे उम्मीद बधी। सबसे अधिक समस्याएं गांव गौंछी के सीनियर सेकंडरी स्कूल के अध्यापकों की सर्विस बुक की थी। जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी रितु चौधरी ने गौंछी स्कूल की प्रिंसीपल से बात करके जल्द ही अध्यापकों की समस्याओं का समाधान करने के निर्देश दिए।

इस मौके पर खंड शिक्षा अधिकारी बलवीर कौर, अध्यापक राजेश कुमार, अमित कुमार, ललित भारद्वाज , राजेश रानी, अमित कुमार, टॉस्क टीम के सदस्य व मौलिक अधिकारी कार्यालय के बाबू मौजूद थे।

सर्विस बुक पूरी नही होने पर लगा गया खुला दरबार , 45 शिकायत हुईं दर्ज

जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी रितु चौधरी ने बताया कि अध्यापकों की समस्याओं को देखते हुए यह दरबार लगाए जा रहे हैं। पूर्व में रहे प्रिंसीपल, डीडीओ, खंड शिक्षा अधिकारी व अन्य कर्मचारियों की लापरवाही के कारण अध्यापकों के काम अटके हुए हैं।

कई कर्मचारियों की मौत हो गई, जिस कारण अधिकारी व प्रिंसीपल काम करने की बजाए अध्यापकों को एक-दूसरे के पास टरकाते हैं। अध्यापक अपनी इन समस्याओं के कारण विद्यार्थियों को भी पढ़ाने में दिलचस्पी नहीं लेते।

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