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बूढ़ी हड्डियों में नही है इतना दम की कर सकें लंबा इंतजार , पेंशन को लेकर लगाई गुहार

फरीदाबाद : अगर बुजुर्ग पेंशन बनवानी है, तो बीके अस्पताल जाने से पहले सुबह व दोपहर का खाना साथ लेकर जाए। क्योंकि पेंशन बनवाने के लिए आपको शाम भी हो सकती है। अगर उक्त दिन आपकी पेंशन नहीं बन पाती है, तो आपको अगले शनिवार का इंतेजार करना पड़ेगा। क्योंकि महीने में हर शनिवार को पेंशन बनने के बाद भी लोगों को काफी परेशानी हो रही है।


बीके अस्पताल के कमरा नंबर 21 में बुजुर्गों की पेंशन बनाई जाती है। लेकिन पेंशन बनवाने वालों की संख्या ज्यादा होने की वजह से कई बार सभी लोगों की पेंशन बन नहीं पाती है। अगर किसी बुजुर्ग को पेंशन बनानी है तो उनको बीके अस्पताल के कमरा नंबर 21 में तैनात डाॅक्टर से पेपर वर्क पूरा होने के बाद फार्म पर साइन करवाने पड़तें है।

बूढ़ी हड्डियों में नही है इतना दम की कर सकें लंबा इंतजार , पेंशन को लेकर लगाई गुहार

कोविद से पहले बीके अस्पताल में हर रोज पेंशन वर्क किया जाता था। जिसके लिए एक डाॅक्टर को नियुक्त किया गया है। लेकिन कोविद की वजह उक्त कार्य को हर महीने की 10 तारीख तय कर दी गई। महीने में एक दिन होने की वजह से करीब 1500 लोगों पेंशन बनवाने के लिए आते थे।

शनिवार को आए बुजुर्गो को फिर से लम्बी लाईन में घंटो बिना सोशल डिस्टेंसिंग के खड़े रहना पड़ता । बुजुर्गों व चिकित्सकों का कहना है कि यह हस्ताक्षर यदि रोजाना हो जाए, तो फिर इतनी भीड़ नहीं होगी।

क्या है मामला


जिला समाज कल्याण अधिकारी की तरफ से बुजुर्गो को पेंशन के फार्म देने के बाद चिकित्सक के हस्ताक्षर के लिए हर माह की 10 तारिख तय कर रखी थी। जिससे अस्पताल में सैंकड़ों की संख्या में बुजुर्ग एक ही दिन पहुंच रहे थे। कोरोना काल में बुजुर्गो पर इससे कोविड-19 का खतरा मंडरा रहा था।

जिसके बाद हर शनिवार को कर दिया। लेकिन महीने से चार से पांच शनिवार होने के कारण बुजुर्गो की परेशानी समाप्त नहीं हुई। यहां शनिवार को पहले की तरह ही हो रही भीड़ के कारण सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ती नजर आई।

बुजुर्गों का कहना है कि यह हस्ताक्षर रोज हो जाए तो ठीक रहेगा, ताकि इतनी लम्बी लाइन में घंटो खड़े न रहना पड़े। वहीं डाॅक्टर का कहना है हर बुजुर्ग के फार्म पर हस्ताक्षर करने से पहले उन्हें पूरे कागजों की जांच करनी होती है,

ऐसे में करीब 5 से 10 मिनट का समय लगता है। यहां आने वाले बुजुर्गो के फार्म पर साइन रोजाना हो जाए, तो बेहतर है, ऐसे में यहां इतनी भीड़ नहीं होगी और बुजुर्ग भी परेशान नहीं होंगे।

deepika gaur

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