कृषि कानून के खिलाफ लगातार किसानों का आंदोलन जारी है। इस आंदोलन को आज 33वा दिन पूरा होने को है। इसी कड़ी में किसानों ने सरकार से एक बार फिर बात करने का फैसला लेते हुए चिट्ठी लिखी है।
जिसके मुताबिक किसानों ने मंगलवार 11 बजे मीटिंग करने का वक्त देते हुए उन्होंने 4 शर्तें भी रखीं थी। हालांकि, सरकार की तरफ से अभी तक कोई जवाब नहीं मिल पाया है। उम्मीद जताई जा रही है कि आज शाम तक जवाब आ जाएगा।
25 किसान संगठनों के नेताओं ने कृषि कानूनों का समर्थन करते हुए सोमवार को कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात कर समर्थन की चिट्ठी सौंपी थी। चंडीगढ़ में पंजाब प्रदेश कांग्रेस सेवा दल के सदस्यों ने किसानों के समर्थन में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के घर के पास प्रदर्शन किया। उन्होंने बैरिकेड तोड़ने की कोशिश की तो पुलिस ने कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया।
बुराड़ी में प्रदर्शन कर रहे किसानों ने कहा है कि उन्होंने निरंकारी समागम ग्राउंड का नाम किसानपुरा रख दिया है। वे 33 दिनों ये यहां प्रदर्शन कर रहे हैं। अब उन्हें ये अपना गांव जैसा लगने लगा है।
सरकार से बातचीत के लिए किसानों की यह 4 शर्तें रखी थी। जिसमें सबसे पहले तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की संभावनाओं पर बातचीत हो। मिनिमम सपोर्ट प्राइस (MSP) की कानूनी गारंटी बातचीत के एजेंडे में रहे। कमीशन फॉर द एयर क्वालिटी मैनेजमेंट ऑर्डिनेंस के तहत सजा के प्रोविजन किसानों पर लागू नहीं हों। ऑर्डिनेंस में संशोधन कर नोटिफाई किया जाए। इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल में बदलाव का मुद्दा भी बातचीत के एजेंडे में शामिल होना चाहिए।
किसान एक बार फिर से बातचीत करने को भले ही तैयार हो गए, लेकिन सरकार का विरोध भी तेज कर दिया है। उन्होंने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात प्रोग्राम का थाली बजाकर बायकॉट किया। इस दौरान किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी जूते से थाली बजाते नजर आए। इसे लेकर सोशल मीडिया पर लोगों ने आपत्ति भी जताई। कहा कि जिस थाली में खाते हैं, उसे जूते से पीटना शोभा नहीं देता।
आंदोलन में शामिल सीनियर एडवोकेट अमरजीत सिंह राय ने रविवार को आत्महत्या कर ली। वे पंजाब के फाजिल्का जिले के जलालाबाद के थे। उन्होंने टिकरी बॉर्डर पर चल रहे प्रदर्शन से 5 किलोमीटर दूर जाकर जहर खा लिया। उनके पास सुसाइड नोट भी मिला है। इसमें उन्होंने पीएम मोदी को तानाशाह बताया। वे आंदोलन में सुसाइड करने वाले दूसरे किसान हैं। आंदोलन में अलग-अलग वजहों से अब तक 26 किसानों की जान जा चुकी है।