फरीदाबाद और पलवल की डागर पाल ने धरने पर बैठे किसानों को अपना समर्थन दिया। पाल के प्रधान धर्मवीर ने कहा कि उन्हें उम्मीद थी की मोदी सरकार किसानों की मांग को मान लेगी लेकिन एक महीने से ज्यादा होने पर भी मोदी सरकार ने किसानों की मांग को न तो माना और न ही तीनों काले कानूनों को वापस लिया।
जिसके चलते डागर पाल के लोगों के सब्र का बांध टूट गया क्योंकि डागर पाल के सभी लोग कृषि से जुड़े हुए लोग हैं। लिहाज़ा सभी लोगों ने मिल कर तय किया है की अब वो भी किसानों के धरने को अपना पूर्ण समर्थन देंगे और साथ ही धरने में शमिल भी होंगे। डागर पाल के लोग बड़ी संख्या में पलवल में बैठे किसानो के धरने में शामिल हुए।
इस मौके पर जगन डागर ने कहा कि सरकार जनता द्वारा चुनी जाती है। और जनता के लिए होती है। लेकिन आजादी के बाद पहली बार ऐसी सरकार देखने मिली है जो जनता की आवाज को अनसुना कर के केवल अपने मन की बात जनता को सुना रही है। उन्होंने कहा की मोदी सरकार के पास किसानों की किसी भी समस्या का हल नहीं है। मोदी के मंत्री किसानों के सवाल का जवाब देने के बजाय कुतर्क पेश कर रहे हैं।
श्री डागर ने कहा कि सरकार लोक -लाज से चलती है न की तानाशाही या कुतर्क से। सरकार में बैठे लोगों को याद रखना चाहिए की इस देश की मालिक, देश की जनता है न की सरकार में बैठे लोग। उन्हें जनता ने केवल पांच साल और सरकार चलाने का अवसर दिया है लेकिन मोदी सरकार का रवैया देख कर ऐसा लगता है की वो अपने आप को देश का मालिक समझने लगे हैं। इसे भारत के किसान कभी भी सहन नहीं करेंगे। उन्हें अपनी हठ धर्मिता छोड़ कर जल्द से जल्द किसानों की मांग मान लेनी चाहिए। इस मौके पर देवी डागर सरपंच, करतार डागर सरपांच, सतबीर डागर, बाबू बोहरा, मास्टर हरी राम मुख्या रूप से उपस्थित रहे।
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