यह बात ज़रा भी मायने नहीं रखती कि आप कहां से आते हैं क्या करते हैं। आपके हौसलों में दम हो अगर तो आप अपना बुरा वक़्त चुटकियों में निकाल सकते हैं। हिसार जिले के गांव मुकलान में आटा चक्की चलाने वाले के बेटे ने कमाल की उपलब्धि हासिल की है। परिवार की मुश्किल स्थितियों के बावजूद यह युवा न्यूक्लियर साइंटिस्ट बना है।
मेहनत और सफ़लता एक-दूसरे के पूरक हैं। इस बात को सही ठहराया है। हिसार के अशोक कुमार ने। इनका चयन भामा अटोमिक रिसर्च सेंटर के लिए हुआ है। अशोक ने मार्च में भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर रिक्रूटमेंट की परीक्षा दी थी।
इनकी सफलता के चर्चे गांव में हर तरफ हैं। इनके अशोक के पिता मुकलान गांव के रहने वाले हैं और आटा चक्की चलाते हैं। अशोक की कामयाबी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कॉरपरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी स्कीम का योगदान है। इस स्कीम के कारण वह अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी कर सके। उनकी पढ़ाई में उनके स्कूल के दिनों के गणित के एक शिक्षक का योगदान वह हमेशा याद रखेंगे।
आप सबकुछ हासिल कर सकते हैं यदि आपके इरादों में जान हो। अशोक कुमार गांव के लिए आइडल बन गए हैं। परीक्षा के बाद दिसंबर में इंटरव्यू के बाद ओवरऑल रिजल्ट जारी किया गया। इसमें अशोक कुमार की ऑल इंडिया सेकेंड रैंक आई है। 5 जनवरी को भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर की ओर से नतीजे घोषित किए गए हैं।
हरियाणा के लिए यह गर्व की बात है क्योंकि, अशोक ने बताया कि पूरे देश से करीब 30 छात्रों का चयन हुआ है और इसमें उनका भी नाम है। अशोक के पिता मांगेराम के पास एक एकड़ जमीन है और वह आटा चक्की चलाकर परिवार का पेट पालते हैं।
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