गुलाम भारत को अंग्रेजों की गुलामी और परतंत्रता से स्वाधीन करवाने की लड़ाई में लाखों लोगों ने अपनी जान गवांई थी। स्वतंत्रता सेनानियों ने देश की आजादी के लिए बहुत संघर्ष किया, अंग्रेजों की अमानवीय एवं कठोर यातनाएं झेली, यहां तक की कई वीर सपूतों ने देश के खातिर अपनी प्राणों की आहुति तक दे दी और इन्हीं क्रांतिकारियों और महान स्वतंत्रता सेनानियों की वजह से हम आज एक स्वतंत्र देश के नागरिक हैं।
इन स्वंतत्र सेनानियों में से एक हमारे जिले के वीर ओर भारत माँ के सपूत बल्लभगढ़ के राजा नाहर सिंह भी थे,जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहूति दी थी।
बल्लभगढ़ की स्थापना साल 1609 में बलराम द्वारा की गई थी। उनके वंशज महाराज राम सिंह के घर 6 अप्रैल 1921 को नाहर सिंह ने जन्म लिया था। 18 साल की उम्र में जनवरी 1839 को उनका राज्याभिषेक हुआ था। बल्लभगढ़ के राजा नाहर सिंह देश के पहले स्वतंत्रता संग्राम में शहीद होने वाले अग्रणी क्रांतिकारियों में से एक थे।
साल 1857 में बहादुरशाह जफर को दिल्ली का शासक बनाया गया। उनकी देख-रेख की जिम्मेदारी राजा नाहर सिंह को सौंपी गई। नाहर सिंह काफी बहादुर थे और उन्होंने अंग्रेजी सेना के साथ जमकर मुकाबला किया और अंग्रेजी सेना को हार का सामना करना पड़ा। अंग्रेजी शासक नाहर सिंह के पराक्रम से परेशान थे, जिसके चलते उन्होंने एक षड्यंत्र रचा। उन्होंने एक दूत भेजकर राजा नाहर सिंह को दिल्ली बुलाया और कहा कि उनकी मौजूदगी में बहादुरशाह जफर से संधि करना चाहते हैं। जैसे ही नाहर सिंह लाल किले में घुसे तो अंग्रेजी सेनाओं ने धोखे से उन्हें गिरफ्तार कर लिया।
गिरफ्तारी के बाद राजा नाहर सिंह पर सरकारी खजाना लूटने का इल्ज़ाम लगाया गया और उनपे मुकदमा इलाहाबाद कोर्ट में चला। सरकारी खजाने को लूटने के आरोप में दोषी ठहराते हुए उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई। 9 जनवरी 1858 को 36 साल की उम्र में राजा नाहर सिंह को चांदनी चौक में फांसी दी गई। उनके साथ उनके साथी गुलाब सिंह सैनी और भूरा सिंह को भी फांसी की सजा सुनाई गई थी।
राजा जी के महल को नाहर सिंह पैलेस के नाम से जाना जाता हैं। इस पैलेस को हरियाणा सरकार ने हरियाणा पयर्टन में शामिल कर लिया गया हैं। उनकी याद में फरीदाबाद के नाहर सिंह स्टेडियम का नाम उनके नाम रखा गया है। वायलेट लाइन में बल्लभगढ़ मेट्रो स्टेशन का नाम भी राजा नाहर सिंह के नाम पर रखा गया है।
देश के लिए राजा नाहर सिंह के इस बलिदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता, इसलिए शहर की कई संस्थाएं उनकी शहादत में हर साल कार्यक्रमों का आयोजन करती हैं। शहर में आज भी राजा नाहर सिंह का महल है। उनके प्रपौत्र राजकुमार तेवतिया, सुनील तेवतिया व अनिल तेवतिया बल्लभगढ़ में राजा नाहर सिंह पैलेस में आज भी राजा जी से संबंदित यादों को संजो कर रखा हैं।
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