अप्रिय घटना से बचने के लिए क्या है तैयारी जिले के एकमात्र सरकारी अस्पताल की, जान कर उड़ जाएंगें आपके होश

महाराष्ट्र के भंडारा जिले के सरकारी अस्पताल में शुक्रवार को देर रात करीब 2 बजे एसएनसीयूवार्ड में आग लगने का मामला सामने आया है। जिसमें 10 नवजात की जान गई। उन नवजात की उम्र एक दिन से लेकर 3 महीने के बीच में बताई जा रही है। इस घटना को देखते हुए शनिवार को पहचान फरीदाबाद की संवाददाता हेमलता रावत व फोटोग्राफर आकृति ने जिले का एकमात्र बीके अस्पताल में अग्नि सुरक्षा उपकरण की पड़ताल की।
सबसे पहले हम बीके अस्पताल में एंट्री की। एंट्री करने के साथ सबसे पहले सेंट्रल स्टोर बना हुआ है। जिसमें जिले के भी स्वास्थ्य केंद्रों पर देने वाली दवाईयों का स्टोर है। उस स्टोर के बाहर अग्नि सुरक्षा उपकरण बने हुए है। जिसकी हालत बुहत ज्यादा खराब है।

अप्रिय घटना से बचने के लिए क्या है तैयारी जिले के एकमात्र सरकारी अस्पताल की, जान कर उड़ जाएंगें आपके होश

उन अग्नि सुरक्षा उपकरण को देखकर ऐसा लगता है कि वह कई सालों से चलाए नहीं गए है। उसके बाद हम बीके अस्पताल की इमरजेंसी के पीछे गए। जहां पर एक खाली मैदान बना हुआ है। उस मैदान में अग्नि सुरक्षा उपकरण की पानी की पाइप लाइन लगी हुई है। लेकिन वह चलती नहीं है। उन पाइप में से भी कुछ पाइप टुटी पड़ी हुई है। उसके बाद हम इमरजेंसी में गए। जहां करीब दो से तीन अग्निशामक सलेंडर दीवारों पर लगाए हुए है।

इमरजेंसी में ग्रीन जाॅन व रेड जाॅन बना हुआ है। जिसमें वार्ड के अंदर किसी प्रकार कोई अग्निशामक सलेंडर मौजूद नहीं था। अग्निशामक सलेंडर सिर्फ इमरजेंसी गैलरी में लगए हुए है जिसमें से एक डाॅक्टर के कमरे के बाहर व दूसरा इमरजेंसी से ओपीडी के ओर जाने वाले गेट पर लगा हुआ है।


उसके बाद हम ओपीडी की ओर गए जहां देखा की इमरजेंसी से लेकर ओपीडी तक दो ही सलेंडर लगे हुए है। जिसमें से एक सलेंडर कमरा नंबर 40 के बाहर व दूसरा ईसीजी कमरे के बाहर लगा हुआ है। उसके बाद हम ओपीडी में गए। जिसमें गायनी विशेषज्ञ, बाल रोग विशेषज्ञ, आर्थाें विशेषज्ञ, डेंटल विशेषज्ञ आदि की ओपीडी चलती है। ओपीडी में हर रोज करीब 1500 मरीज अपना उपचार करवाने के लिए आते है।

लेकिन उनकी सुरक्षा की बात करें तो अस्पताल की ओर से सुरक्षागार्डाें की तैनाती तो की हुई है। लेकिन अगर कोई घटना होती है तो उसके लिए अस्पताल की ओर से कोई तैयारी नहीं है। क्योंकि ओपीडी में मात्र दो ही अग्निशामक सलेंडर लगे हुए है। ओपीडी में आने वाले मरीजों के संख्या ज्यादा होने के बावजूद भी मा़त्र दो ही अग्निशामक सलेंडर लगे हुए है।

उसके बाद हम कमरा नंबर 22 के बाहर पहुंचे जहां फायर कांट्रोल पैनल बना हुआ हैं, जोकि पूरी तरह से ठप है। इसमें न तो किसी प्रकार का कोई बिजली का कनेक्शन और न ही कोई अलारम के लिए बैल लगी हुई है। अगर अस्पताल में कहीं भी आग लग जाती है। तो उसके लिए कोई अलारम नहीं बजेगा। इस दौरान हमने पाया कि ओपीडी व सीढ़ियों के पास अग्नि सुरक्षा उपकरण के तहत पाइप लाइन डाली हुई है। जोकि पूरी तरह से ठप पड़ी हुई है। उसके बाद हम अस्पताल की पहली मंजिल पर गए। जहां पर एक ओर बाल चिकित्सा परिसर व जच्चा बच्चा वार्ड बना हुआ है।

उन दोनों वार्डाें के अंदर किसी प्रकार का कोई अग्निशामक सलेंडर नहीं लगा हुआ है। दोनों की गैलरी में दो-दो अग्निशामक सलेंडर लगाए हुए है। जोकि काफी आग की घटना पर काबू पाने के लिए कम है। उसके बाद हम दूसरी व तीसरी मंजिल पर भी निरिक्षण करने के लिए वहीं भी किसी वार्ड में कोई अग्निशामक सलेंडर नहीं लगा हुआ है। लेकिन गैलरी में मात्र दो- दो सलेंडर लगे हुए है। अस्पताल की पड़ताल करने के बाद हम जिले के सीएमओ कार्यालय पर गए। जिस जगह सीएमओ डाॅक्टर रणदीप सिंह पुनिया बैठते है वह कार्यालय बंद है।

लेकिन सीएमओ ऑफिस का स्टाफ जिस कमरे में बैठते है वहां पर किसी प्रकार की कोई सुविधा देखने को नहीं मिली। वहां की बिल्डिंग भी जर्जर हालत में पड़ी हुई है और अग्निशामक सलेंडर के नाम पर कोई भी सुविधा उपलब्ध नहीं है। बीके अस्पताल की पड़ताल के बाद हमने जाना कि अस्पताल में आग से संबंधित छोटी घटना को निपटने के लिए अग्निशामक सलेंडर लगे हुए है लेकिन अगर भविष्य में अगर कभी कोई बड़ी घटना होती है तो उस घटना से निपटने के लिए अस्पताल के कर्मचारियों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

प्रशासनिक अधिकारी डाॅक्टर राजेश धीमन ने बताया कि अग्नि सुरक्षा उपकरण के लिए पीडब्ल्यूडी को पैसे दे दिया है। उन्होंने बताया कि उनकी ओर से साल 2017 से यह कार्य के लिए पीडब्ल्यूडी को बोला हुआ है। लेकिन बजट नहीं होने की वजह से रूका हुआ था। अब बजट आ चुका है तो जल्दी ही काम शुरू होने की उम्मीद है। जिसमें सभी महत्वपूर्ण अग्नि सुरक्षा उपकरण को शुरू किया जाएगा।

Avinash Kumar Singh

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