दुनिया में ऐसे बहुत ही कम लोग होते हैं जो दूसरों के बारे में सोचते हो। और अनजान लोगों की मदद करते हो। आज जहां लोगों में से इंसानियत कम होती जा रही है जहां सिर्फ़ वो अपने भले के बारे में सोचते है और इतने नेगेटिव होते जा रहे है वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो ना सिर्फ दूसरो के बारे में सोचते बल्कि उनकी मदद करने का भी वह हर प्रयास करते हैं।
गुजरात के वडोदरा की रहने वाली निशिता राजपूत। निशिता 12 साल की उम्र से ही गरीब बेटियों की एजुकेशन पर काम कर रही हैं। वो लोगों से दान लेकर लड़कियों की पढ़ाई में मदद करती हैं। ना सिर्फ पढ़ाई बल्कि वह उनकी जरूरतों का भी पूरा खयाल रखती है जैसे कि उनके कपड़ों का किताबों का और भी बहुत कुछ।
निशिता उनकी फीस के पैसों का इंतजाम भी करती हैं। पिछले दस साल में अब तक वो 3.25 करोड़ रुपए की फीस भर चुकी हैं। इस साल उन्होंने 10 हजार बेटियों की पढ़ाई का खर्च उठाने का टारगेट रखा है।
28 साल की निशिता के पिता गुलाब सिंह भी समाज-सेवा के काम से जुड़े हुए हैं। वो गरीब और वंचित लोगों की मदद करते हैं। उन्हीं की प्रेरणा से निशिता के मन में भी बेटियों के लिए कुछ करने की इच्छा जागी। उन्होंने 2010 में 151 छात्राओं की फीस भरने से इस मुहिम की शुरुआत की थी। अब तक वो 30 हजार से ज्यादा छात्राओं की फीस भर चुकी हैं। निशिता अपने इस काम से बेहद खुश है और उनका सपना है ज्यादा से ज्यादा बच्चियों को शिक्षित कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने का है। इसके लिए अब वह जिला स्तर पर भी कोशिश कर रही है।
निशिता बताती है की बच्चियों की पढ़ाई अक्सर पैसों की तंगी के चलते अधूरी रह जाती है। और उन पर उनके परिवार की ज़िमेदारी के चलते वह शिक्षित नहीं हो पाती है। निशिता ने सोचा कि वो कुछ ऐसा करे जिससे बच्चियों की पढ़ाई पूरी हो जाए। जिसके लिए उन्होंने दानदाताओं से संपर्क करना शुरू किया। और वो सारे पैसे बच्चियों की पढ़ाई में लगाती गई।
सीनियर सिटिजन गोविंदभाई जरिया ने बताया- मैं वडोदरा की एक बस्ती में अकेला ही रहता हूं। आय का कोई साधन नहीं है। निशिता पिछले तीन साल से मेरे पास टिफिन पहुंचा रही हैं। मैं उनका बहुत आभारी हूं।
बुजुर्ग महिला दमयंतीबेन भी निशिता की मुहिम की तारीफ करती हैं। दमयंतीबेन बताती हैं कि निशिता करीब साढ़े तीन सालों से उनके लिए रोज टिफिन पहुंचा रही हैं। इसके अलावा दवाई और कपड़ों का भी खर्च उठाती हैं। निशिता एक सगी बेटी की तरह मेरी सेवा कर रही हैं।
ऐसे ही निशिता काफ़ी बुजुर्गों को टिफिन पहुंचा कर मदद करती है।
टिफिन का खाना बनाना व पहुंचाने तक का सारा काम महिलाएं ही करती है जिससे महिलाओं को रोजगार भी मिला हुआ है। और वह आत्मनिर्भर है।बच्चियों की पढ़ाई का खर्च उठाने के अलावा निशिता हर साल ऐसे दानदाताओं की तलाश भी करती हैं, जो 151 बच्चियों को अडॉप्ट कर उनकी पढ़ाई का पूरा खर्च उठाते हैं।
निशिता ने जरूरतमंद महिलाओं के लिए शहर के 120 मेडिकल स्टोर और करीब 30 लैब में डिस्काउंट भी शुरू करवाया है। इसके तहत महिलाओं को मेडिकल स्टोर में 10% और लैब में 10 से 15% तक का डिस्काउंट मिलता है। इसका फायदा शहर की करीब 10 हजार महिलाएं ले रही हैं।
Written By :- Radhika Chaudhary
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