जैसे जैसे समय बीत रहा है वैसे वैसे आंदोलनकारियों के अलग ही अनुभव सामने देखने को मिल रहे है। अब इसी कड़ी में जो किसान हरियाणा के है और आंदोलन में अपना योगदान दे रहे है
अब उनके सर पर कृषि कानूनों के अलावा पंजाब और पंजाबियों की शान पगड़ी सर चढ़ कर बोल रही है। अब ऐसे हरियाणवी किसानों को पहचानने के लिए उनकी बोली अहम भूमिका अदा कर रही है।
इसके अलावा दूसरी ओर आंदोलन के बीच चल रहे लंगरों में अब पंजाब से आ रहे बच्चे भी मदद कर रहे हैं। आंदोलन में शामिल पंजाब के किसानों के परिवार आ रहे हैं। महिलाएं बच्चों को लेकर पहुंच रही हैं। एक-दो दिन रुकती हैं, फिर लौट जाती हैं।
शुक्रवार को टीकरी बॉर्डर पर पंजाब से आए एक परिवार के छोटे-छोटे बच्चे भी लंगर में रोटी बनाने में जुटे थे। वहीं हरियाणा के रोहतक के गांव जसिया के कृष्ण और रिठाल के कालू सिंह अब पंजाबी पगड़ी बांध रहे हैं।
आंदोलन के बीच हरियाणा के किसानों की मंडली जहां-जहां जमी हैं, वहां पर हुक्का जरूर है। हालांकि पंजाब के किसान हुक्के से दूर रहते हैं। हरियाणा के किसान तो ट्रैक्टरों पर भी हुक्का रखकर आ रहे हैं। पिछले दिनों किसानों द्वारा सेक्टर-9 मोड के पास बैरिकेड लगा दिए गए है।
ऐसा ही रेडक्रास के आसपास किया गया था। इससे आधुनिक औद्योगिक क्षेत्र की तरफ जाने वाले वाहनों की संख्या कम हो गई थी। अब किसानों ने इस तरह के बैरिकेड हटा दिए। ऐसे में वाहनों की आवाजाही फिर से बढ़ गई है। इससे आंदोलन के बीच बने रास्ते पर शुक्रवार को जाम की स्थिति बनी रही।
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