आपने कहावत तो बचपन से सुनी होगी। अगर नहीं सुनी तो चलिए हम सुना देते हैं और उसका अर्थ भी समझा देते हैं। कहावत थी करे कोई भरे कोई। अब इसका अर्थ बता देते हैं कि कई बार ऐसा होता है कि कर्म कोई और करता है और फल किसी और को मिल जाता है।
वही गलत कार्य कोई और करता है और दंड बे मतलब किसी को मिल जाता। अब आप सोचेंगे कि इस कहावत का क्या मतलब है तो आपको बता दें कि यह कहावत जो है हरियाणा के जेजेपी और बीजेपी गठबंधन पर एकदम सार्थक बैठती है।
हम बात कर रहे हैं केंद्र सरकार द्वारा पारित किए गए कृषि कानून की। केंद्र सरकार ने जब से कृषि कानून पारित किया है। तब से हरियाणा सरकार पर दबाव बन गया है खासकर जेजेपी के अध्यक्ष दुष्यंत चौटाला पर।
जिसका फायदा कांग्रेस सरकार द्वारा उठाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जा रही है और कांग्रेस नजरे जमाए इस गठबंधन पर प्रतिक्रिया का इंतजार कर रही है।
दरसअल, मुख्यमंत्री मनोहर लाल सरकार का समर्थन कर रही जननायक जनता पार्टी (जजपा) और कई निर्दलीय विधायक इन कानूनों के खिलाफ हैं। वह किसानों की कानून वापस लेने की मांग के साथ हैं। यही वजह है कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल और उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से भी मुलाकात की है।
दूसरी तरफ हरियाणा से ताल्लुक रखने वाले कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता की कथनी के अनुसार प्रदेश में भाजपा सरकार की राह मुश्किल से गुजरती हुई दिखाई दे रही है। वहीं जननायक जनता पार्टी के अध्यक्ष के तौर पर दुष्यंत चौटाला ने इस मुद्दे पर सख्त रुख नहीं अपनाया,
तो कई विधायक द्वारा उनके खिलाफ जाने की आशंका जताई जा सकती हैं। इसका सबसे बड़ा कारण यह है जजपा को ग्रामीण क्षेत्रों से समर्थन मिला था। ऐसे में सरकार में बने रहने के लिए दुष्यंत चौटाला किसानों के हितों की अनदेखी करते हैं, तो उन्हें अपने विधायकों को एकजुट रखना मु्श्किल होगा। असीम दुष्यंत चौटाला असमंजस में पड़ गए है।
उधर, कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि जजपा के कुछ विधायक अपनी पार्टी के खिलाफ रुख अपनाते हैं, तो निर्दलीय विधायक भी पाला बदल सकते हैं। गौरतलब, हरियाणा में मनोहर लाल सरकार को जजपा के 10 और सात निर्दलीय विधायकों का समर्थन हासिल है।
इंडियन नेशनल लोकदल के नेता अभय सिंह चौटाला के किसानों के समर्थन में विधानसभा से इस्तीफा देने के ऐलान से भी उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला पर दबाव बढ़ा है। ऐसे में पार्टी की नजर जजपा पर है। जितना प्रयास किसानों द्वारा कृषि कानूनों के खिलाफ सख्त किया जा था है उतना ही अब हरियाणा गठबंधन पर दबाव बनाने वाले बेशुमार है।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र् सिंह हुड्डा पहले ही राज्य सरकार के खिलाफ विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव पेश करने का ऐलान कर चुके हैं। वहीं कांग्रेस का मानना है कि दुष्यंत चौटाला सरकार का साथ नहीं छोड़ते तो खुद व खुद उनके विधायक बगावत का राह पर चलते दिखाई देंगे। अविश्वास प्रस्ताव इसी रणनीति का हिस्सा है, ताकि किसानों के सामने दूध का दूध और पानी का पानी किया जा सके।
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