Categories: Politics

लिंगानुपात पर भारी पड़ेगा सीएम खट्टर का वार, लड़की जन्म देने के लिए प्रोत्साहित करेगी सरकार

वैसे तो कहने के लिए बदलते वक्त के साथ लोगों के सोचने की और समझने की प्रक्रिया में काफी परिवर्तन देखने को मिले हैं। परंतु अभी भी कुछ ऐसी जगह है जहां लड़के और लड़की को समान अधिकार तो दूर लड़की के जन्म को अपराध माना जाता है।

जिसमें एक समय में हरियाणा का नाम भी जुड़ने लगा था। परंतु आज खुशी की बात है कि हरियाणा राज्य में लड़का लड़की की लिंग अनुपात की दर में काफी हद तक सुधार देखने को मिला है।

लिंगानुपात पर भारी पड़ेगा सीएम खट्टर का वार, लड़की जन्म देने के लिए प्रोत्साहित करेगी सरकार

आज हरियाणा राज्य में अधिकांश स्थलों पर लड़कियों ने जीत हासिल कर अपना दमखम दिखाया है। अगर सामान्य उदाहरण लिया जाए तो गीता फोगाट, बबिता फोगाट और मानुषी छिल्लर जैसे कई अन्य नाम है जिनसे आज इन बेटियों ने हरियाणा को एक पहचान दी है।

वहीं लिंगानुपात के मामलों में भी अब हरियाणा राज्य ने अपनी पहचान बनाना शुरू कर दिया है। गौरतलब 21 जनवरी 2015 को पीएम नरेंद्र मोदी ने हरियाणा के पानीपत जिले से बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान को शुरू किया था। जिसके पास हर जगह ना सिर्फ बेटी को बचाने की बल्कि उन्हें पढ़ाने की भी होड़ लगी हुई दिखाई दी थी।

अगर बात की जाए लिंगानुपात कि तो साल 2019 में लिंगानुपात 923 था, 2020 में घटा है। वही 2020 में प्रति 1000 बेटों पर 922 बेटियां पैदा हुईं। 2014 में यह संख्या 871 थी। इसका अर्थ है लगभग 6 साल बाद अब समाज ने भी इस बात को स्वीकार कर लिया है कि बेटियां भी बेटों से कम नहीं है, और हर क्षेत्र में बेटियों अपना दमखम दिखाने का दम भर सकती है।

सीएम मनोहर लाल ने कहा कि 2021 के दौरान लिंगानुपात 935 प्लस का लक्ष्य रखा है, जो कन्या भ्रूणहत्या के खिलाफ लड़ाई जारी रखते हुए पूरा किया जाएगा। जिन जिलों में दशकों तक लिंगानुपात 900 से कम था, उनमें से अधिकांश में लिंगानुपात अब 920 से अधिक हो गया है।

राज्य के 22 जिलों में से 20 जिलों में लिंगानुपात 900 या इससे अधिक है। सिरसा में यह 949 है। 2020 के दौरान कुल 537996 बच्चों के जन्म का पंजीकरण हुआ है। इनमें 279869 लड़के व 258127 लड़कियां हैं। 2019 में 518725 बच्चों ने जन्म लिया था, जिनमें 269775 बेटे और 248950 बेटियां थीं।

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. राकेश गुप्ता ने बताया कि 2019 के दौरान भ्रूण लिंग जांच की 77 एफआईआर दर्ज की गई। साल 2020 में 100 एफआईआर दर्ज की गई। दिल्ली, पंजाब, यूपी और राजस्थान में अंतरराज्यीय छापे के बाद 40 ऐसे मामले पकड़े गए। उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में अधिकतम 11 एफआईआर दर्ज की गईं।

Avinash Kumar Singh

Recent Posts

मैं किसी बेटी का अपमान बर्दाश्त नहीं कर सकती – रेणु भाटिया (हरियाणा महिला आयोग की Chairperson)

मैं किसी बेटी का अपमान बर्दाश्त नहीं कर सकती। इसके लिए मैं कुछ भी कर…

2 months ago

नृत्य मेरे लिए पूजा के योग्य है: कशीना

एक शिक्षक के रूप में होने और MRIS 14( मानव रचना इंटरनेशनल स्कूल सेक्टर 14)…

2 months ago

महारानी की प्राण प्रतिष्ठा दिवस पर रक्तदान कर बनें पुण्य के भागी : भारत अरोड़ा

श्री महारानी वैष्णव देवी मंदिर संस्थान द्वारा महारानी की प्राण प्रतिष्ठा दिवस के उपलक्ष्य में…

2 months ago

पुलिस का दुरूपयोग कर रही है भाजपा सरकार-विधायक नीरज शर्मा

आज दिनांक 26 फरवरी को एनआईटी फरीदाबाद से विधायक नीरज शर्मा ने बहादुरगढ में दिन…

2 months ago