मात्र किताबों के ज़रिये नहीं निकल सकता पर्यावरणीय समस्याओं का हल, आप आएं कुछ इस प्रकार आगे

पर्यावरणीय समस्याओं का हल का इस समय भारत ही नहीं बल्कि पुरा विश्व तलाश रहा है। जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद के सिविल इंजीनियरिंग विभाग और पर्यावरण विज्ञान विभाग के संयुक्त तत्वावधान में सिविल इंजीनियरिंग और पर्यावरण विज्ञान के क्षेत्र में उन्नत तकनीकों पर आयोजित दो दिवसीय आनलाइन राष्ट्रीय सम्मेलन आज शुरू हो गया। इस सम्मेलन शोधकर्ताओं, संकाय सदस्यों, औद्योगिक विशेषज्ञों और विद्यार्थियों सहित देश के विभिन्न हिस्सों से लगभग 150 प्रतिभागियों ने भाग ले रहे है।

सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा मुख्य अतिथि रहे। सम्मेलन की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो दिनेश कुमार ने की।

मात्र किताबों के ज़रिये नहीं निकल सकता पर्यावरणीय समस्याओं का हल, आप आएं कुछ इस प्रकार आगे

सीएसआईआर-एनईईआरआई दिल्ली जोनल सेंटर के वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक डॉ. एस. के. गोयल, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली से प्रो. के. एन. झा, भारतीय भवन कांग्रेस, नई दिल्ली के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री प्रदीप मित्तल उद्घाटन सत्र में मुख्य वक्ता रहे। इस अवसर पर बोलते हुए प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा, जो सिविल इंजीनियरिंग के एक प्रोफेसर भी हैं, ने कहा कि इंजीनियरिंग की सबसे पुरानी शाखा के रूप में सिविल इंजीनियरिंग की देश के भौतिक विकास तथा आर्थिक विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

देश की ऐतिहासिक इमारतों के निर्माण एवं वास्तुकला के पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि तकनीकी प्रगति के कारण सिविल निर्माण में नई तकनीकों और सामग्रियांे की उपयोगिता बढ़ गई है, जिसने सतत विकास के दृष्टिगत इन तकनीकी विकासों के क्षेत्र में अनुसंधान की उपयोगिता का बढ़ा दिया है। अपने अध्यक्षीय भाषण में कुलपति प्रो दिनेश कुमार ने मकर संक्रांति के अवसर पर प्रतिभागियों को शुभकामनाएं दीं।

उन्होंने कहा कि सघन ढांचागत विकास और शहरीकरण के कारण पर्यावरण का क्षरण बहुत तेजी से हो रहा है और इससे पानी की गुणवत्ता, वायु प्रदूषण और कचरे के निपटान जैसी समस्याएं पैदा हो रही हैं। इन पर्यावरणीय मुद्दों और चुनौतियों का सामना करने के लिए हमें अपनी विकास नीतियों और योजनाओं के साथ सतत विकास के सिद्धांतों को एकीकृत करना होगा। इसलिए, सिविल इंजीनियरिंग और पर्यावरण वैज्ञानिक को पर्यावरण के संरक्षण के लिए नई तकनीकी प्रगति के साथ मिलकर काम करना होगा।

इससे पहले, सिविल इंजीनियरिंग के अध्यक्ष प्रो. एम.एल. अग्रवाल ने अतिथियों और प्रतिभागियों का स्वागत किया। पर्यावरण विज्ञान की अध्यक्षा डॉ। रेणुका गुप्ता ने सम्मेलन पर परिचय दिया। उन्होंने बताया कि हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, जम्मू-कश्मीर और नई दिल्ली सहित विभिन्न राज्यों के प्रतिभागियों से प्राप्त हुए 70 से अधिक शोध पत्रों को सम्मेलन के विभिन्न आठ तकनीकी सत्रों में प्रस्तुत किया जाएगा और गुणवत्तापूर्ण शोध पत्रों को सर्वश्रेष्ठ शोध पत्र पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। सत्र का समापन पर कुलसचिव डॉ. एस.के. गर्ग ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया। सत्र का संयोजन डॉ. सोमबीर बाजार और डॉ. विशाल पुरी द्वारा किया गया।

Avinash Kumar Singh

Published by
Avinash Kumar Singh
Tags: Pollution

Recent Posts

अब से Haryana रोडवेज़ की बसों पर देखने को मिलेगा यह नया स्लोगन, परिवहन मंत्री अनिल विज ने जारी किए आदेश 

अभी तक प्रदेश की जनता ने हरियाणा रोडवेज की बसों पर सिर्फ़ 'बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ'…

6 days ago

आज जारी हो सकता है Haryana बोर्ड की कक्षा 10वीं का रिजल्ट, ऐसे करें चेक 

प्रदेश के जिन छात्रो ने इस साल हरियाणा बोर्ड की 10वीं कक्षा के एग्जाम दिए…

6 days ago

Haryana के इस जिले की बेटी ने बिना ट्यूशन के ही 12वीं में हासिल किए 95.6%, यहाँ पढ़े पूरी खबर 

अभी हाल ही में हरियाणा शिक्षा बोर्ड ने 12 वी का रिज़ल्ट जारी किया है,…

7 days ago

इस फसल की खेती करने पर Haryana के किसानों को मिलेंगे प्रति एकड़ 1 हजार रूपये, यहाँ पढ़े पूरी ख़बर 

हरियाणा सरकार आए दिन प्रदेश की जनता के हित में कार्य कर रही है, ताकि…

1 week ago

Haryana के इन जिलों में होगा मॉक ड्रिल, यहाँ जाने इससे जुड़ी सभी जानकारी 

पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद से भारत सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा में सतर्कता…

2 weeks ago

Haryana शिक्षा बोर्ड ने 10वीं के परिणाम घोषित करने से पहले लिया यह बड़ा फैसला, यहाँ पढ़ें पूरी खबर 

प्रदेश के जिन छात्रों ने इस बार दसवीं की परीक्षा दी है यह खबर उनके…

2 weeks ago