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किसान आंदोलन की आग पहुँची संसद , याद आया ब्रिटिश काल

भले ही केंद्र सरकार द्वारा पारित किए गए कृषि कानून के विरोध प्रदर्शन की गूंज सरकार के कानों में ना गूंज रही हो। मगर अब यह लड़ाई सड़क तक सीमित न रहकर संसद तक पहुंच गई है।

दरअसल, मंगलवार को राज्यसभा व लोकसभा में विपक्षी दलों द्वारा किसानों के मुद्दों पर चर्चा कराने की मांग करते हुए जोरों शोरों से जय जवान जय किसान के नारे लगाए गए।

किसान आंदोलन की आग पहुँची संसद , याद आया ब्रिटिश काल

इतना ही नहीं कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए आवाज भी बुलंद की गई। यही कारण है कि उक्त प्रकरण के चलते राज्यसभा और लोकसभा में कार्यवाही समुचित ढंग से नहीं हो सकी और कार्यवाही शुरू होने से पहले हंगामा जरूर शुरू हो गया।

आपको बता दें पहली बार ऐसा नहीं हुआ है इससे पहले भी तीन बार कार्यवाही स्थगित हो चुकी है विपक्षी दल कामकाज रोक करके से कानून और किसानों की मांग पर चर्चा की मांग कर रहे थे।

वही माहौल को देखकर इसे सभापति एम वेंकैया नायडू ने नामंजूर कर दिया, लेकिन विपक्षी हंगामा करते रहे। ऐसे में नायडू ने कार्यवाही बुधवार तक के लिए स्थगित कर दी।

विपक्ष ने इसी मांग को लेकर लाेकसभा में भी हंगामा किया। कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि आंदोलन में 150 से ज्यादा किसानों की जान चली गई। लगता है कि हम ब्रिटिश काल में जा रहे हैं।

अधीर रंजन चौधरी

इस पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि सरकार बात कर रही है। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भी कहा कि सरकार संसद के अंदर, बाहर हर मुद्दे पर चर्चा को तैयार है।

किसान नेता राकेश टिकैत ने धारा-144 लगाने की सूचना वाले पाेस्टर के सामने सड़क पर बैठकर भाेजन किया। उन्होंने कहा कि हमारा नारा है- कानून वापसी नहीं, तो घर वापसी नहीं। यह आंदोलन अक्टूबर तक चलेगा।

अक्टूबर के बाद आगे की तारीख देंगे। बातचीत भी चलती रहेगी। साथ ही कहा कि बुधवार को जींद में महापंचायत है, जिसमें वे शामिल होंगे। उधर, शिवसेना नेता संजय राऊत गाजीपुर बाॅर्डर पहुंचे और कहा कि टिकैत के आंसू देखकर रुक नहीं सका।

गौरतलब, राज्य सरकार ने 7 जिलों कैथल, पानीपत, जींद, रोहतक, चरखी दादरी, सोनीपत व झज्जर में वॉयस कॉल को छोड़ इंटरनेट सेवाओं, एसएमएस व मोबाइल पर दी जाने वाली डोंगल सेवा बंद करने की अवधि 3 फरवरी शाम 5 बजे तक बढ़ा दी है।

Avinash Kumar Singh

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