कोरोना वायरस के कारण 22 मार्च के बाद से ही देशभर में लॉक डाउन सिस्टम को अनिवार्य किया हुआ है। लॉक डाउन के चलते आवश्यक सामग्रियों की दुकानों को छोड़ हर में हर दुकान, यातायात के साधन इत्यादि पर अंकुश लगा दिया गया था।
लॉक डाउन के चौथे चरण की मियाद लगभग खत्म होने की और है लेकिन देश में कोरोना संक्रमण की बात करें तो संख्या अभी भी चरम सीमा पर है जो सवा लाख के आंकड़े को भी पार कर चुकी हैं। इस बात से कोई वंचित नहीं को की लॉक डाउन की रफ्तार में देश भयंकर आर्थिक मंदी से जूझ रहा था।
लेकिन 2 महीने पूरे होते होते हर राज्य में कुछ रियायतें दी गई। आर्थिक गतिविधियों को सुचारू रूप से चलाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण शर्तों के साथ कर्मचारियों को वापसी लाने का आदेश दे दिया गया।
लेकिन धीरे-धीरे शहर की या यह कहें कि देश की पुरानी तस्वीरें लोगों के समक्ष प्रस्तुत हो रही हैं। कंटेंटमेंट जॉन को छोड़ हर क्षेत्र में मिठाई, ब्यूटी पार्लर, सैलून इत्यादि दुकानों को खोलने के आदेश जारी कर दिए गए हैं। साथ ही यातायात के वाहनों जैसे ऑटो चालकों को भी सड़कों पर निकलने की अनुमति दी गई है। परन्तु बशर्त ऑटो चालक केवल पचास प्रतिशत ही सवारियों को ऑटो में बिठा सकेंगे।
तो फिर क्या था सरकार के आदेश आते ही आमजन को आशा की उम्मीद दिखाई दी और लोगों ने सामान्य जीवन की तरह सामान्य जीवन निर्वहन के लिए अपने अपने आजीविका के साधन को गतिविधि में लाना शुरू कर दिया है। शहर की तस्वीरें 2 महीने बाद रोनक से भरी हुई दिखाई दे रही है जिसमें नाई की दुकान, ब्यूटी पार्लर खुले हुए तो वहीं ऑटो चालक सड़कों पर सामान्य जीवन की तरह दिखाई दे रहे हैं।
हालांकि अभी भी जंग जारी है लेकिन लोगों को जीने के लिए आजीविका भी चाहिए तो रिस्क भी लेना पड़ेगा। जब एक ऑटो चालक से पूछा गया तो उसने बताया कि सरकार के नियमों का पता नही था पर सबको चलाते देखा तो मेने भी चलाना शुरू कर दिया। बेशक धीरे-धीरे देश की तस्वीरें सामान्य जीवन की तरह लौट रही है लेकिन इस बार जीवन इतना सामान्य नहीं होगा।
लोगों को जरूरत से ज़्यादा सावधानियां बरतनी होगी। क्योंकि वह कहते हैं ना जरा सी चूक बहुत बड़ी लापरवाही को न्योता देती है। इसलिए आजीविका चलाने के साथ-साथ लोगों को जरूरी है कि वह अपने और अपने परिजनों के स्वास्थ्य के बारे में ध्यान में हर कदम पर सावधानी बरतें।
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