आज-कल रोहिंग्या मुसलमानों को लेकर देश में बड़ी बहस छिड़ी हुई है। म्यांमार में इनकी आबादी करीब दस लाख के आसपास है। इनके पास दुनिया में अपना कोई मुल्क नहीं है। वहीं से ये लोग भारत में आये हैं। हरियाणा के मेवात में रोहिंग्या मुसलमानों की तादाद बढ़ती जा रही है। मेवात में लोग इन रोहिंग्या मुसलमानों के शरणदाता बन गए हैं। यह लोग प्रदेश के लिए बड़ा खतरा बन सकते हैं।
हमारे देश में जयचंदों की कमी बिलकुल नहीं है। खाते देश का हैं, बोलते विदेश का हैं। यह लोग कभी भी देश को घाव दे सकते हैं। विश्व हिंदू परिषद ने हरियाणा में रोहिंग्या की भारी तादाद में मौजूदगी के दस्तावेजों के साथ उनके यहां रहने को देश और प्रदेश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ बताया है।
हमारे देश में सबसे बड़ी समस्या है धर्मनिरपेक्षता। जो बस एक वर्ग निभाता है बाकी तो सब शांतिदूत हैं। यह कभी – भी अपना असली रूप दिखा सकते हैं। भारत सरकार की तरह प्रदेश सरकार भी हालांकि इन रोहिंग्या मुसलमानों को प्रदेश में नहीं रहने देने के हक में है और बनाए जा रहे परिवार पहचान पत्रों के जरिये उनकी पहचान कर उन्हें प्रदेश से रुखसत करने का रास्ता भी तैयार कर रही है।
म्यांमार की न तो सीमा हरियाणा से मिलती है और न ही दोनों संस्कृतियों के बीच कोई प्रत्यक्ष सम्बन्ध है, फिर भी यहां रोहिंग्या मुस्लिमों की संख्या इतनी कैसे हुई? यह सोचने की बात है। इनको प्रदेश से बाहर निकालने में अभी थोड़ा वक्त लग सकता है, लेकिन तब तक किसी भी देशविरोधी घटना की आशंका से इन्कार नहीं किया जा सकता।
लाखों की तादाद में रोहिंग्या भारत में रह रहे हैं। यह बिलकुल भी संभव नहीं है कि किसी नेता के बिना इतनी बड़ी तादाद में शांतिदूतों का यहां आके बस जाना आसान रहा होगा। किसी ना किसी ने इनको यहां बसाने में सहायता की है। यही लोग देश को अंदुरनी घाव देने में लगे हुए हैं।
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