सरकार के द्वारा 1 मार्च को बुजुर्ग व 45 साल से और 59 साल तक के बीमार व्यक्ति को वैक्सीन अभियान में भाग ले सकते हैं। लेकिन उनको कोवैक्सीन लगाने से पहले अपनी बीमारी का पूरा ब्यौरा स्वास्थ्य विभाग को बताना होगा। उसके बाद ही उनको कोवैक्सीन लगाई जाएगी।
लेकिन जिले में एक व्यक्ति ने अपने बीमारी के बारे में स्वास्थ्य विभाग से छुपाया और कोवैक्सीन को लगवा लिया। जिसके बाद उसकी मृत्यु हो गई। स्वास्थ्य विभाग के द्वारा जब जांच की गई तो पता चला कि उस बुजुर्ग व्यक्ति ने अपनी बीमारी के बारे में स्वास्थ्य विभाग को अवगत ही नहीं करवाया था।
अगर वह समय पर स्वास्थ्य विभाग को अवगत करा देता तो शायद उसको बचाया जा सकता था। लेकिन उसके परिजनों व बुजुर्ग व्यक्ति ने ऐसा नहीं किया। जिसकी वजह से उसकी मृत्यु हो गई। 2 मार्च को एनआईटी तीन नंबर ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में डबुआ कॉलोनी के रहने वाले विजेंद्र पाल ने टीकाकरण अभियान में भाग लिया।
उन्होंने टीका लगवाने से पहले अपना रजिस्ट्रेशन 60 साल से ऊपर यानी बुजुर्ग कैटेगरी में करवाया। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग को टीका लगाने से पहले अपनी बीमारी यानी ल्यूकेमिया या ब्लड कैंसर के बारे में नहीं बताया और उन्होंने कोवैक्सीन लगवा ली। जिसके बाद उनके शरीर पर सूजन आने लगी।
लेकिन उसके बावजूद भी उन्होंने तुरंत इसकी सूचना अस्पताल को नहीं दी। करीब 10 दिनों के बाद अस्पताल में उपचार के लिए पहुंचे। जहां पर उनको आईसीयू में भर्ती कर लिया गया। लेकिन उनको ब्लड कैंसर होने की वजह से उनकी हालत में कोई सुधार नहीं आया और उनकी मृत्यु हो गई।
ईएसआई मेडिकल कॉलेज के रजिस्ट्रार डॉ ए के पांडे ने बताया कि वह व्यक्ति आईपी नहीं था। यानी ईएसआई मे कवर्ड नहीं था, लेकिन उसके बावजूद भी उसका पूरा इलाज ईएसआई मेडिकल कॉलेज में फ्री में किया गया। वैक्सीन लगवाने से पहले सभी बुजुर्गों व बीमार व्यक्तियों को अपनी अपनी बीमारी के बारे में स्वास्थ्य विभाग को अवगत कराना चाहिए।
जो कि सरकार के द्वारा गाइडलाइन जारी की गई है। लेकिन विजेंद्र पाल के द्वारा स्वास्थ्य विभाग को कोई सूचना नहीं दी कि उनको ब्लड कैंसर है। अगर वह समय रहते बता देते तो स्वास्थ्य विभाग के द्वारा उनको वैक्सीन नहीं लगा जाती और उनकी जान को बचाया जा सकता था।
उन्होंने बताया कि अब जो भी बुजुर्ग उनके यहां पर वैक्सीन को लगवाने के लिए आ रहे हैं। उनसे स्वास्थ्य विभाग पूरी जानकारी या फिर यूं कहें उनकी बीमारी की जानकारी लेने के बाद ही उनको वैक्सीन लगाई जा रही है।
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