मिड डे मील के बारे में आप सभी ने सुना होगा। इसका अर्थ है दोपहर का खाना। मिड डे मील स्कीम सरकार द्वारा चलाई गई एक स्कीम है जिसके जरिए स्कूल में पढ़ रहे छोटी आयु के बच्चों को पोषक भोजन खाने के लिए दिया जाता है। महामारी के चलते पिछले एक साल से मिड डे मील स्कूलों में बंद था। अब स्कूलों में बच्चे आने शुरू हो गए हैं तो नए सिरे से इसके लिए मौलिक शिक्षा विभाग इसे सुचारू बनाने की तैयारी शुरू कर दी है।
कोई भी बच्चा भूखा न रहे इसके लिए इसको लागू किया गया है। अब स्कूलों में नए गैस चूल्हों पर भोजन पकेगा और बच्चों को चकाचक बर्तनों में परोसा जाएगा।
मिड डे मील से संबंधित शिकायतें भी काफी अधिक आती हैं। हालांकि ये स्कीम सालों से देश में चल रही है। स्कीम को सरकारी स्कूलों में चलाया जा रहा है। स्कीम के तहत करोड़ बच्चों को स्कूल में भोजन करवाया जाता है। अब नए गैस चूल्हों पर भोजन पके और बच्चों को नए बर्तनों में भोजन मिले इसके लिए प्रदेश के सभी जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए हैं।
क्वालिटी को लेकर मिड डे मील हमेशा से सवालों के घेरे में रहा है। काफी बार तो इसमें छिपकलियां भी देखी गई हैं। मौलिक शिक्षा हरियाणा मिड डे मील महानिदेशक के पत्र अनुसार प्रदेश के 8 हजार 888 स्कूलों में मिड डे मील व्यवस्था ओर बेहतर करने के लिए जरूरी कदम उठाए गए हैं। इनमें गैस सिलेंडर, बर्नर, कंटेनर्स व अन्य सामान आदि खरीदने के लिए मापदंड निर्धारित किए गए हैं।
किसी भी प्रदेश की तरक्की तब हो सकती है जब स्कूली बच्चों को पोषक और अच्छा खाने मिले। प्रदेश का सरकार नए बर्तनों में बच्चों को खाना खिलाना अच्छा कदम है लेकिन अच्छा खाना खिलाना इसकी ज़िम्मेदारी भी सरकार को लेनी होगी ताकि बच्चे स्वस्थ रहें।
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