अध्यात्म की राह पर ईश्वर ज़रूर मिलता है। इसी को सोच को लेकर काफी लोग आगे बढ़ रहे हैं। अध्यात्म का मार्ग अपनाकर ही ईश्वर का आभास हो सकता है। इसको को चरितार्थ कर रहे हैं स्विट्जरलैंड के बेन बाबा। बेन बाबा ने स्विट्जरलैंड से हरिद्वार तक का सफर अपने कदमों से नाप दिया। भारतीय संस्कृति, सनातन धर्म और योग से प्रभावित बेन बाबा पांच साल में करीब साढ़े छह हजार किलोमीटर पैदल सफर कर हरिद्वार कुंभ स्नान करने पहुंचे हैं।
सनातन धर्म जीवन जीने का धर्म है। स्वदेशी और विदेशी सभी सनातन धर्म के मुरीद हैं। दुनिया बहुत छोटी है, बस हौसला बढ़ा होना चाहिए। बेन बाबा इसके जीवंत उदाहरण हैं।
इतना लंबा सफर सिर्फ गंगा मैया में डुबकी लगाने के लिए इन्होनें तय किया है। सबकुछ छोड़ कर यह बाबा बने हैं। बेन बाबा पेशे से वेब डिजाइनर हैं। स्विट्जरलैंड की लग्जरी जिंदगी छोड़कर अध्यात्म और योग में रम गए हैं। सनातन धर्म और योग का प्रचार-प्रसार को जिंदगी का मकसद और पैदल विश्व यात्रा को अपनी साधना बना लिया है।
अध्यात्म की राह पर जब कोई चलता है तो उसको मोह माया नहीं दिखाई देती। सबकुछ छोड़ कर अध्यात्म की राह हर कोई नहीं पकड़ सकता है। 33 वर्षीय बेन बताते हैं भारतीय संस्कृति, परंपरा और सभ्यता अद्भुत है। योग ध्यान और भारतीय वेद पुराण सबसे मूल्यवान हैं। इनमें अलौकिक ताकत है। इन्हीं से प्रभावित होकर भारत भ्रमण का लक्ष्य बनाया।
हमारे देश में ऐसे लोगों की कमी नहीं जो राम से लेकर सनातन तक पर सवाल खड़े करते हैं। उनको बेन बाबा से कुछ सीख लेनी चाहिए। राम और सनातन ही भारत की पहचान हैं।
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