कोरोना महामारी के कारण भले ही देश भर में अनेकों जानें गई हैं। लेकिन हर साल सड़क दुर्घटना से मरने वाले लोगों की संख्या भी कम नहीं है। देशभर में साल भर में लगभग 1.5 लाख लोगों की जान जाने का जिम्मेदार केवल सड़क दुर्घटना है। सड़कों ने भले ही लोगों के बीच की दूरियों को कम कर दिया है
लेकिन सड़कों पर ही दिन रोज अनेकों दुर्घटनाएं होती हैं जिनमें लोग अपनी जान गवा देते हैं। वर्तमान समय में सड़कें में जीवन की गतिविधियों का केंद्र है। भारतीय आर्थिक विकास में सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान है।
प्रादेशिक परिवहन सचिव डॉ सुनील कुमार का कहना है कि भले ही बर्तमान परिवहन प्रणाली ने दूरियों को कम कर दिया है लेकिन इसमें जीवन जोखिम को भी बढ़ा दिया है।
सड़क दुर्घटनाओं का सबसे बड़ा वहम कारण यातायात के नियमों का पालन न करना है। इस मामले में पाया गया कि 67.3 फीसद मौतें ओवरस्पीडिंग, 6.1 फीसद रोंग साइड ड्राइविंग, 3.3 फीसद मोबाइल फोन प्रयोग व 3.5 फीसद मौत शराब पीकर गाड़ी चलाने के कारण हुई है।
पाया गया है कि सड़क हादसों में मरने वाले 18 से 35 वर्ष के युवाओं का फीसद 69.3 है। सड़क दुर्घटना में मरने वालों में पुरुषों की संख्या महिलाओं के मुकाबले अधिक पाई गई। कुल 86 फीसद पुरुष व 14 फीसद महिलाओं की सड़क दुर्घटना में मौत हुई।
सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों का एक बड़ा हिस्सा पैदल चलने वाले लोगों का है। छत्रपति ऐसे लोग हैं जिनकी पैदल चलने के कारण सड़क दुर्घटना में मौत हुई। जबकि 37 फीसद दुपहिया वाहन तथा 16 फीसद चार पहिया वाहन से चलने वाले यात्री की मौत का कारण सड़क दुर्घटना है।
दुपहिया व पैदल चलने वाले कुल 54 फ़ीसदी लोग सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौत का कारण बने। पैदल चलने वाले यात्रियों को सबसे अधिक असुरक्षित पाया गया है। क्योंकि उनके पास दुर्घटना से बचाव के कोई उपाय नहीं होते। पैदल यात्रियों के लिए बनाए गए फुटपाथ पर वाहनों की पार्किंग कर दी जाती है या दुकानदार अतिक्रमण कर लेते हैं। जिस कारण पैदल यात्री रोड पर चलने को मजबूर हो जाते हैं व दुर्घटना का शिकार बन जाते हैं।
देश में लगभग 1.5 लाख लोगों की मौत का कारण सड़क दुर्घटना है। विश्व की तुलना में सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों में 11 फीसद हिस्सा भारत का है। सड़क दुर्घटनाओं की सामाजिक आर्थिक लागत 1.47 करोड रुपए थी जो कि देश की जीडीपी के 0.7 फीसद के बराबर है।
वर्तमान में देश में गुड समेरिटन लॉ आ चुका है जिसके तहत सड़क दुर्घटना में मदद करने वाले लोगों को संरक्षण दिया जाएगा। देखा जाता है कि लोग दुर्घटनाग्रस्त लोगों की मदद करने में हज की जाते हैं ताकि वह कानूनी कार्यवाही में ना फंस जाएं।
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने विभिन्न राज्यों के साथ मिलकर इस वर्ष 18 जनवरी से 17 फरवरी के बीच सड़क सुरक्षा के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए राष्ट्रीय रोड सुरक्षा माह मनाया। सड़क सुरक्षा जीवन रक्षा इसकी थीम थी।
पिछले कुछ वर्षों में तीन दृष्टिकोण एजुकेशन, इंजीनियरिंग और एनफोर्समेंट सुरक्षा के लिए मुख्य दृष्टिकोण रहा है। यदि यह तीनों मिलकर काम करें तो सड़क सुरक्षा को बढ़ाने में व सड़क दुर्घटनाओं को कम करने में मदद मिलेगी। सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए ट्रैफिक नियमों का पालन, वाहनों को उचित ढंग से चलाए जाने, फुटपाथों का सही प्रयोग तथा दुर्घटनाग्रस्त लोगों की मदद करने की आवश्यकता है।
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