प्रदेश सरकार डिजिटल की राह पर निकल पड़ी है। लगभग सारे कार्य डिजिटल रूप में सूबे में होने लगे हैं। अब प्रदेश के के किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी है। एक अप्रैल से प्रदेश में सरसों व गेहूं की खरीद शुरू हो गई है। प्रदेश में पहली बार गेहूं की खरीद का पैसा सीधे किसानों के खाते में डाला जा रहा है। इसके साथ ही आढ़तियों की आढ़त उनके खाते में सीधे डाल दी जाएगी।
सरकार के इस कदम से किसानों में खुशी है। डिजिटल तरीके से उनके पास सीधे पैसे पहुंच जाएंगे। पूर्व की व्यवस्था में किसानों को उनका पूरा पैसा नहीं मिलता था और किसान को आर्थिक नुकसान झेलकर भी मनमसोस कर बैठना पड़ता था, लेकिन वर्तमान में इस तरह के किसान के शोषण पर अंकुश लगा है।
गत वर्षों में और अब में खेती में अनेकों बदलाव भी देखने को मिले हैं। अब नए तरीके से पैसे लेकर किसानों के लबों पर भी मुस्कान की लहर है। सरसों की खरीद का पैसा किसानों के खातों में 2020 में ही डालना शुरू कर दिया गया था। किसान हित में भाजपा सरकार कदम उठा रही है।
किसानों के हित में लगातार प्रदेश सरकार कदम उठा रही है। लेकिन दिल्ली की सीमांओं पर बैठे किसान सरकार से नाराज़ हैं। अब एक हजार करोड़ रुपये का घाटा झेलकर भी प्रदेश सरकार ने किसानों का बाजरा अपने खजाने से खरीदा है। खरीफ की फसल में हुए नुकसान की भरपाई के लिए 900 करोड़ रुपये मुआवजा बांट दिया गया है। किसानों के खातों में यह राशि डाल दी गई है।
डिजिटल तरीके से उपयोग सभी राज्य सरकारों को करना चाहिए। यह तरीका काफी हदतक सुरक्षित है। दक्षिण हरियाणा में माइक्रो इरिगेशन योजना पर भी तेजी से कार्य चल रहा है और इसका फायदा, महेंद्रगढ़, रेवाड़ी, दादरी व भिवानी जिले के किसानों को मिलेगा।
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