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एक ही परिवार की 8 बेटियों ने किया गांव का नाम रोशन, जानिए कैसे

बेटी समाज पर गर्व है। पुराने समय में बेटियों को घर तक ही सीमित रखा जाता था। जैसे-जैसे समय बदल रहा है बेटी समाज का गर्व बन रही हैं। पहले लड़कियों को चार दिवारी में रखते थे। केवल घर के काम तक ही सीमित रखते थे।

जैसे जैसे समय बदल रहा है। आज हर बेटी बेटों से कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है। घर में लड़की का होना कामयाबी का कारण है। राजस्थान के चूरू गांव के एक परिवार की 8 बेटियां नेशनल प्लेयर बनी। इन सभी के पिता एक साधारण जीवन जीने वाले व्यक्ति हैं। जोकि खेती बाड़ी करके परिवार का पालन पोषण करते है।

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उनकी बेटियों ने पूरे गांव का नाम रोशन किया है। यह आठवां बेटियां चौधरी परिवार की है। यह बेटियां केवल पुलिस में ही नहीं एथलेटिक्स में भी अपना नाम कमाया। इन बेटियों ने अपने खेत को भी अपना मैदान बनाया और वही पूरी तैयारियां की । देवकरण चौधरी की पहली बेटी सरोज खेत में काम करती थी।

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उन्होंने स्टेट लेवल पर 30 से ज्यादा संख्या में गोल्ड मेडल जीते हैं। खेल में यह लगभग 10 वर्ष से हैं। अपने परिवार के साथ राजस्थान में पुलिस कॉन्स्टेबल लोगों का ध्यान रख रहे हैं। इनकी सुपुत्री सरोज पोस्ट ग्रेजुएट है। वहीं दूसरी बेटी सुमन चौधरी ने पोस्ट ग्रेजुएशन तक की शिक्षा प्राप्त की है। सुमन राष्ट्रीय स्तर पर प्लेयर है।

तीसरी बेटी कमलेश चौधरी ने ग्रेजुएशन किया है। कमलेश चौधरी स्टेट लेवल पर 6 बार मैडम प्राप्त किया और अब पुलिस पद पर अपना कार्य संभाल रहे हैं। शिशुपाल चौधरी की बेटी कैलाश ने भी ग्रेजुएशन कर ली है। स्टेट लेवल वनेशनल लेवल की प्लेयर भी रह चुकी है। अब कॉन्स्टेबल के पद पर अपना कार्य संभाल रही है।

शिशुपाल चौधरी की दूसरी बेटी सुदेश चौधरी भी ग्रेजुएट है। सुदेश में कई स्टेट लेवल प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया है। अब पुलिस कॉन्स्टेबल है। शिशुपाल की तीसरी बेटी निशा चौधरी मैं भी ग्रेजुएशन पूरी कर ली है। राष्ट्रीय स्तर पर कंपटीशन में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया।

चौथी बेटी पूजा चौधरी ने भी ग्रेजुएशन तक पढ़ाई प्राप्त की है। अब स्टेट में 5 मेडल जीते। रामस्वरूप की बेटी सुमित्रा चौधरी उन्होंने भी बीऐड किया है। स्टेट लेवल पर खेल चुके हैं। उन्होंने 2 पदक भी जीते हैं।

अब आर ए सी में कॉन्स्टेबल के पद पर अपना कार्य कर रहे हैं। इन बेटियों ने पूरे राजस्थान का नाम रोशन किया। इन लड़कियों की यह कहानी हर उस लड़की के लिए प्रेरणात्मक कहानी है जो अपनी जिंदगी में अपने परिवार और अपने गांव का नाम रोशन करना चाहती है।

Avinash Kumar Singh

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Avinash Kumar Singh

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