एक बार फिर सताया lockdown ऑटो चालक से लेकर आम लोग हुए परेशान

सोमवार रात 12:00 बजे से दिल्ली में लॉक डाउन की घोषणा कर दी गई थी। जिसकी वजह से लोगों में यह में भह बैठ गया था कि अब सरकार के द्वारा जो लॉकडाउन लगाया गया है वह आगे बढ़ा दे जाएगा। जिसकी वजह से उनको पिछले साल की तरह इस बार भी भूखा मरना पड़ेगा।

इसी वजह से लोग अपने घरों को पलायन कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर ऑटो चालकों पर भी इस लॉकडाउन का काफी असर देखने को मिला है। फरीदाबाद दिल्ली बदरपुर बॉर्डर पर दिल्ली पुलिस के द्वारा बैरिकेडिंग की हुई है। जहां पर बाहर गाड़ी को चेक करने के बाद ही दिल्ली की ओर रवाना कर रहे हैं।

एक बार फिर सताया lockdown ऑटो चालक से लेकर आम लोग हुए परेशान

दिल्ली पुलिस कर्मी कमर्शियल और प्राइवेट वाहनों को चेक करने के बाद ही दिल्ली को रवाना कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि गाड़ी में बैठे व्यक्ति से आई कार्ड व अन्य जरूरी कागजात मांगे जाते हैं कि वह दिल्ली में किस कंपनी में और किस जगह पर काम करते हैं।

अगर उनके पास कागज नहीं होते हैं। तो उनको दिल्ली में एंट्री नहीं दी जाती है। इसके अलावा बदरपुर बॉर्डर पर ऐसे लोग भी मिले जो कि लॉकडाउन के चलते अपने घर को पलायन कर रहे हैं।

उनका कहना है कि सरकार के द्वारा पहले 1 हफ्ते का हिसाब लगाया जाता है। लेकिन उसके बाद उसको बढ़ा ले जाता है जिसकी वजह से उनको भुखमरी जैसी जिंदगी गुजारनी पड़ती हैं। इसीलिए पहले ही अपने घर को जा रहे हैं।

ऑटो चालक का काम हुआ था ठप

दिल्ली में लॉकडाउन लगने की वजह से बदरपुर बॉर्डर पर तैनात सैकड़ों की संख्या में ऑटो चालकों को भी काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ऑटो चालकों की माने तो पिछले साल की तरह इस बार भी उनको अपने परिवार का पालन पोषण करने में काफी परेशानी होगी।

ऑटो चालक रविंद्र ने बताया कि सरकार के द्वारा लॉकडाउन पर लगा दिया गया है। लेकिन लोगों में यह डर बैठा हुआ है कि वह 1 बार दिल्ली में एंट्री कर जाएंगे। लेकिन उसके बाद में आगे कैसे जाएंगे। इसी वजह से वह यहां से भी पैदल जाना ज्यादा पसंद करते हैं।

उन्होंने बताया कि आटो चालक के द्वारा कई बार किराए में भी काफी कमी की जा चुकी है। लेकिन उसके बावजूद भी लोग ऑटो में सफर करना पसंद नहीं कर रहे हैं। दिल्ली में लोक डॉन लगने की वजह से उनके काम में काफी असर पड़ा है। दिन में वह एक या दो ही सवारी को दिल्ली में छोड़ कर आते हैं। पहले वह 10 से 12 सवारी को छोड़ते थे।

Avinash Kumar Singh

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